Ajmer: रोडवेज बसों की कमी के चलते जान जोखिम में डालकर सफर को करने को मजबूर यात्री
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Ajmer: रोडवेज बसों की कमी के चलते जान जोखिम में डालकर सफर को करने को मजबूर यात्री

नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र मुख्यालय से जिला मुख्यालय अजमेर के बीच रोड़वेज बसों की कमी होने से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की कार्य कुशलता पर प्रश्नचिन्ह लगा.

अजमेर रोडवेज

Ajmer: नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र मुख्यालय से जिला मुख्यालय अजमेर के बीच रोड़वेज बसों की कमी होने से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की कार्य कुशलता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है. रोडवेज बसों की कमी से अवैध वाहनों को बढ़ावा और यात्रियों की परेशानियां बढ गई है. कुछ साल पूर्व यात्रियों की सुविधाओं के लिए लो फ्लोर बसों का संचालन किया गया था. यह बसें प्रत्येक 15 मिनट में अजमेर से नसीराबाद के बीच आवागमन के रूप में उपलब्ध थी. इसका कारण यह था कि नसीराबाद से कई कर्मचारी अपने कार्यालय, दुकानदार अपनी दुकानों के सामान खरीदने और विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए अजमेर की ओर आवागमन लगा रहता है और माखूपुरा, परबतपुरा आदि औद्योगिक क्षेत्र होने से मजदूर रोजगार के लिए जाते हैं, लेकिन विडम्बना की परिकाष्ठा यह हो रही है कि रोडवेज बसों की कमी के चलते यात्री नियत समय पर गंतव्य स्थान तक पहुंचने में असमर्थ हो रहें हैं. बस नहीं मिलने के कारण यात्रियों को घंटो तक बस का इंतजार करना पड़ता है और यात्रियों को अन्य साधनों के लिए जल्दी पहुंचने की बैचेनी में इधर उधर भटकते रहते है.

गौरतलब बात तो यह है कि नसीराबाद एक ऐतिहासिक छावनी है और यहां पर देश के विभिन्न राज्यों के सैन्य जवान उनके परिवार के साथ निवास करते हैं. यहां से विभिन्न राज्यों में आवागमन के लिए अजमेर से ही साधन लेना पड़ता है. इसके बावजूद नसीराबाद से अजमेर के बीच रोडवेज बसों की कमी की बात ऊंट के मुंह मे जीरे की तरह साबित हो रही है.

नसीराबाद से अजमेर के बीच बलवंता, जाटिया, बीर, माखुपुरा आदि स्थानों पर जाने वाले यात्रियों, विद्यार्थियों और मजदूरों के लिए काफी समय अन्तराल पर रोडवेज बस उपलब्ध होती है. लम्बी दूरी पर जाने वाली रोडवेज बसे यात्रियों को रास्ते में नहीं उतारती और कुछ परिचालक उतारने के लिए तैयार भी हो जाते हैं तो, उस यात्री को विवश होकर अजमेर तक का टिकट लेना पड़ता है. रोडवेज बसों की कमी के कारण बस आने पर सीट पाने के लिए मारामारी हो जाती है. परेशानी तब बढ़ जाती है जब महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग यात्रियों को अन्य यात्रियों की भगदड़ व धक्का मुक्की लगने से गिरकर चोटिल हो जाते हैं. कई बार यात्रियों को बसों में चढ़ने को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाता हैं.

रोडवेज बसों की कमी के कारण यात्रियों को विवश होकर निजी अवैध वाहनों में यात्रा करनी पड़ती है. अवैध वाहन चालकों ने बसों की कमी का फायदा उठाते हुए यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हुए चांदी कूटने हिचक नहीं कर रहें हैं. स्कूलों की छुट्टी होने के बाद घर पहुंचने के लिए छात्राएं बस स्टैंड पर कई घंटे इंतजार करती रहती है, इन निजी वाहनों पर सरकार का कोई अंकुश नहीं होने के कारण छात्राएं असुरक्षित यात्रा करने के लिए मजबूर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक तरफ बेटियों को पढ़ाने एवं उच्च शिक्षा दिलाने के प्रचार प्रसार कर रहें हैं, वहीं दूसरी तरफ जो छात्राएं उच्च शिक्षा पाने की इच्छुक हैं, उन्हें आवागमन की आवश्यक सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो रही है.

लोकल बसों के संदर्भ में विस्तृत जानकारियां हासिल करते वक्त कई व्यक्तियों ने बताया कि अप्रत्यक्ष रूप से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम निजी वाहनों को बढ़ावा देते हुए, यात्रियों के जीवन को संकट में डाल रही है. अवैध वाहनों मे आवागमन के दौरान अप्रिय घटना हो जाने पर किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलता है, निजी वाहनों द्वारा मनमाना किराया वसूलने के कारण यात्रियों पर आर्थिक भार भी पड़ रहा है, यात्रियों और विद्यार्थियों की परेशानियों को देखते हुए, समाजसेवी रूपनारायण गुर्जर, पीकेआरसी, रोहित नागौरा, निहालचंद बड़जात्या आदि ने संबन्धित विभाग के अधिकारियों से रोडवेज बसों की संख्या में इजाफा करके यात्रियों को राहत देने की मांग की हैं.

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