Sujangarh Churu Vidhansabha Seat: सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा वक्त में कांग्रेस के दिग्गज नेता मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल विधायक है. जानें BJP और RLP का क्या है हाल
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Sujangarh Churu Vidhansabha Seat: राजस्थान में भले ही पिछले 25 सालों से ही एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का राज रहा हो लेकिन सुजानगढ़ की जनता ने हर बार राज बदल और हर बार अलग चेहरे को जिताया, फिर चाहे मैदान में कितना ही बड़ा चेहरा क्यों ना हो. दरअसल सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पिछले 72 सालों में कभी भी कोई विधायक अपनी विधायकी रिपीट नहीं कर सका है. इस सीट से मौजूदा वक्त में कांग्रेस के दिग्गज नेता मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल विधायक है.
सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड मास्टर भंवरलाल मेघवाल के नाम है. मास्टर भंवरलाल ने 1980 में पहली जीत दर्ज की थी, इसके बाद वह 1990, 1998, 2008 और 2018 में जितने में कामयाब रहे. हालांकि मेघवाल कभी भी अपनी विधायकी लगातार रिपीट नहीं कर पाए. वहीं अब तक इस सीट पर हुए 15 विधानसभा चुनाव में 6 बार कांग्रेस, चार बार बीजेपी, तीन बार निर्दलीय और एक-एक बार जन संघ और जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर सबसे कड़ा मुकाबला 1957 में देखने को मिला जब निर्दलीय उम्मीदवार सोना देवी ने कांग्रेस की शांति कुमारी को 208 मतों से शिकस्त दी थी.
सुजानगढ़ विधानसभा सीट 1977 से ही अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. इस सीट पर सबसे ज्यादा आबादी दलित मतदाताओं की है. इसके बाद यहां जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में है. वहीं ब्राह्मण, मूल ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है.
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सिर्फ मनोज मेघवाल की ओर से दावेदारी जताई गई है, जबकि भाजपा खेमे में एक लंबी फेहरिस्त है. इसमें पूर्व मंत्री रह चुके खेमाराम मजबूत दावेदारी जाता रहे हैं, तो वहीं संतोष मेघवाल और बीएल भाटी जैसे बड़े नाम भी भाजपा से टिकट मांग रहे हैं. वहीं 2021 में हुए उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल कॉी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था. अब एक बार फिर यहां से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है. आरएलपी की ओर से सीताराम नायक की मजबूत दावेदारी है, तो वहीं बाबूलाल कुलदीप भी आरएलपी से ही टिकट मांग रहे हैं, यानी यहां एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला होना तय है. ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि आरएलपी के चुनावी मैदान में उतरने से किसका खेल बिगड़ता है.
कांग्रेस के दिग्गज नेता और सुजानगढ़ से विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल का 16 नवंबर 2020 को निधन हो गया. मास्टर भंवरलाल के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई, लिहाजा ऐसे में 2021 में यहां उपचुनाव कराए गए. उपचुनाव में कांग्रेस ने मास्टर भंवरलाल के पुत्र मनोज मेघवाल को टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से एक बार फिर खेमाराम चुनावी मैदान में उतरे. वहीं हनुमान बेनीवाल की आरएलपी ने सीताराम नायक पर दांव खेला. इस चुनाव में आरएलपी 20 फीसदी मत पाने में कामयाब रही तो वहीं 49 फीसदी मतों के साथ 59,253 मत पाकर मनोज मेघवाल की जीत हुई. वहीं भाजपा के खेमाराम को 35,500 मतों के अंतर से शिकायत का सामना करना पड़ा.
1951 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कन्हैया लाल को टिकट दिया तो वहीं निर्दलीय के तौर पर प्रताप सिंह चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के कन्हैया लाल को 10,906 मत मिले तो वहीं निर्दलीय उम्मीदवार प्रताप सिंह को 12,552 मत मिले. उसके साथ ही प्रताप सिंह सुजानगढ़ से पहले विधायक चुने गए.
1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और शांति कुमारी को टिकट दिया जबकि उन्हें निर्दलीय के तौर पर शन्नो देवी ने चुनौती दी यानी यह चुनाव दो महिला शक्तियों के बीच था. हालांकि चुनाव में तीन अन्य उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में थे. इस चुनाव के नतीजे आए तो निर्दलीय उम्मीदवार शन्नो देवी की जीत हुई, जबकि कांग्रेस की शांति कुमारी को हार का सामना करना पड़ा.
1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फूलचंद को टिकट दिया तो वहीं निर्दलीय के तौर पर देवी सिंह चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार देवी सिंह 6,365 मत ही हासिल कर सके तो वहीं कांग्रेस के फूलचंद 11,756 मतों के साथ विजयी हुए और उसके साथ ही पहली बार इस सीट से कांग्रेस का खाता खुला.
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर फूलचंद को ही टिकट दिया तो वहीं भारतीय जन संघ की ओर से लालचंद चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में भारतीय जन संघ की जीत हुई और उन्हें 15,542 मत मिले, जबकि कांग्रेस के तत्कालीन विधायक फूलचंद को हार का सामना करना पड़ा.
1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से एक परफेक्ट फूलचंद ही उम्मीदवार बने तो वहीं भारतीय जनसंघ ने कैलाश शंकर को टिकट दिया. इस चुनाव में कैलाश शंकर को 10,074 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के फूलचंद को 25,459 वोट मिले और उसके साथ ही फूलचंद की एक बार फिर जीत हुई और कांग्रेस की वापसी का रास्ता तय हुआ.
1977 के विधानसभा चुनाव में सुजानगढ़ का चुनावी परिदृश्य बदल गया. यह सीट सामान्य वर्ग से अनुचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई. लिहाजा ऐसे में चुनावी ताल ठोक रहे उम्मीदवार भी बदल गए. इस चुनाव में कांग्रेस ने मास्टर भंवरलाल मेघवाल को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी की ओर से रावत राम चुनावी मैदान उतरे. इस चुनाव में समीकरण बदले और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी के रावत राम की जीत हुई. उन्हें 28,585 मत मिले जबकि कांग्रेस के भंवरलाल 13,403 मत ही हासिल कर सके.
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आई की ओर से मोतीलाल चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं बीजेपी ने रामलाल को टिकट दिया. वहीं जनता पार्टी सेकुलर की ओर से रावत राम टिकट लेकर आए, तो भंवरलाल मेघवाल ने निर्दलीय ही ताल ठोक दिया. इस चुनाव में मास्टर भंवरलाल मेघवाल की जीत हुई और उन्हें 18,466 मत मिले जबकि जनता पार्टी के रावत राम दूसरे बीजेपी के रामलाल तीसरे और कांग्रेस के मोतीलाल चौथे स्थान पर है.
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी गलती सुधारी और मास्टर भंवरलाल मेघवाल को एक पार्सल टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से चुन्नीलाल मेघवाल चुनावी ताल ठोकने उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस को फिर हार का सामना करना पड़ा और मास्टर भंवरलाल मेघवाल 30,057 मत ही हासिल कर सके जबकि चुन्नीलाल मेघवाल 35,359 वोटो से विजय हुए और यह सीट भाजपा के खाते में गई.
1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर भंवरलाल मेघवाल पर ही दांव खेला तो निर्दलीय के तौर पर रावत राम से कड़ी चुनौती मिली. इस चुनाव में कांग्रेस की लंबे अरसे बाद इस सीट पर वापसी हुई और भंवरलाल मेघवाल 33,474 मतों से चुनाव जीतने में कामयाब हुए, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार रावत राम 19,903 मत ही हासिल कर सके यानी जीत का अंतर भंवरलाल मेघवाल के लिए बड़ा था.
1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से भंवरलाल मेघवाल को ही टिकट दिया तो वहीं बीजेपी की ओर से रामेश्वर लाल भाटी टिकट लेकर आए इस चुनाव में रामेश्वर लाल भाटी को 44,305 के साथ जीत हासिल हुई, जबकि भंवरलाल मेघवाल एक बात पर चुनाव हार गए और वह 42,573 में हासिल कर सके.
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अपने मजबूत खिलाड़ी मास्टर भंवरलाल मेघवाल को ही टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से रामेश्वर भाटी चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में बीजेपी के रामेश्वर भाटी को 44,305 वोट मिले तो वहीं मास्टर भंवरलाल मेघवाल 57,174 मत हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही मास्टर भंवरलाल मेघवाल तीसरी बार सुजानगढ़ से विधायक चुने गए.
2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदला और खेमाराम मेघवाल को टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस का भरोसा मास्टर भंवरलाल मेघवाल पर कायम रहा. चुनाव में मास्टर भंवरलाल मेघवाल को 48,674 वोट मिले तो वहीं भाजपा के खेमाराम मेघवाल 54,294 मत पाने में कामयाब हुए और उसके साथ ही खेमाराम मेघवाल ने जीत हासिल की.
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मास्टर भंवरलाल मेघवाल तो बीजेपी की ओर से खेमाराम चुनावी मैदान में थे. इस चुनाव में मास्टर भंवरलाल मेघवाल खेमाराम को चुनावी पटकनी देने में कामयाब हुए और उनकी एक फिर से जीत हुई. चुनाव में मास्टर भंवरलाल मेघवाल को 56,292 वोट मिले तो वहीं खेमाराम 42,231 मत ही हासिल कर सके.
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मास्टर भंवरलाल तो बीजेपी की ओर से खेमाराम मेघवाल थे यानी मुकाबला एक बार फिर इन सियासी खिलाड़ियों के बीच ही था. इस चुनाव में खेमाराम मेघवाल मोदी लहर पर सवार थे और उन्हें 78,920 मत मिले तो वहीं मास्टर भंवरलाल 65,271 मतदाताओं का समर्थन ही हासिल कर सके.
2018 के विधानसभा चुनाव में मास्टर भंवरलाल मेघवाल कांग्रेस की ओर से तो खेमाराम मेघवाल बीजेपी की ओर से यानी मुकाबला एक बार फिर भंवरलाल मेघवाल और खेमाराम मेघवाल के बीच ही था. इस चुनाव में मास्टर भंवरलाल मेघवाल 83,632 मतों के साथ विजयी हुए जबकि खेमाराम तकरीबन आधे मत ही पा सके और उन्हें 44,883 मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हुआ.
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