जमीन बेचने और खरीदने वाला व्यक्ति भले ही डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा और आसपुर से हैं, लेकिन इसके तार बांसवाड़ा जिले से जुड़ रहे हैं. रजिस्ट्री में गवाह के रूप में बांसवाड़ा जिले से कांग्रेस की एक जिला परिषद सदस्य का नाम सामने आया है.
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Sagwara: डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा में कडाणा विभाग की भूमि के नामांतरण खोले जाने और रजिस्ट्री के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. जमीन बेचने और खरीदने वाला व्यक्ति भले ही डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा और आसपुर से हैं, लेकिन इसके तार बांसवाड़ा जिले से जुड़ रहे हैं. रजिस्ट्री में गवाह के रूप में बांसवाड़ा जिले से कांग्रेस की एक जिला परिषद सदस्य का नाम सामने आया है.
राजस्व विभाग के उप शासन सचिव के नाम से निकले एक फर्जी आदेश ने सागवाड़ा राजस्व विभाग और क्षेत्र में सनसनी फैलाकर रखी है. कथित रूप से फर्जी आदेश के चलते सागवाड़ा तहसीलदार मयूर शर्मा, गोवाड़ी गिरदावर मुकेश भोई और पटवारी राकेश मकवाना ने 30 करोड़ की कडाना द्वारा अवाप्त की गई भूमि का नामांतरण मूल खातेदार के खोल दिया था. वहीं, खातेदार ने नामांतरण खुलने के अगले ही दिन उस जमीन को बेचकर उसकी रजिस्ट्री करवा दी थी.
हालांकि मामले में कलेक्टर ने सागवाड़ा तहसीलदार मयूर शर्मा, गोवाडी गिरदावर मुकेश भोई और पटवारी राकेश मकवाना को निलंबित कर दिया है. वहीं, नामांतरण भी निरस्त कर दिया है, लेकिन इस मामले में एक बड़ी बात निकलकर सामने आई है. जमीन को खरीदने वाला डूंगरपुर जिले के आसपुर के रामा गांव का है, जबकि उस ने भुगतान सागवाड़ा के अपने एक्सिस बैंक के एकाउंट से किया है.
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इस जमीन खरीद फरोख्त में गवाह के रूप में एक नाम सागवाड़ा के मकबूल पिता शफी मोहम्मद का आ रहा है. वहीं, दूसरा नाम बांसवाड़ा जिले के गनोडा के राजेंद्र कुमार जैन पिता गौतम लाल जैन का आर हा है, जो कांग्रेस से जिला परिषद सदस्य बताए जा रहे हैं. राजेंद्र कुमार जैन का नाम सामने आने के बाद जांच का विषय यह भी है कि राजेंद्र कुमार जैन के तार कांग्रेस के किसी बड़े नेताओं से जुड़े हुए तो नहीं है. इधर पुलिस की तफतीश में जमीन को बेचने वाली नजमा शेख और फातेमा पुलिस की पकड़ में अभी तक नहीं आए हैं.
साथ ही जमीन खरीदने वाले हरिसिंह पिता रामसिंह राम सिंह चौहान भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. इधर, जांच अधिकारी जयपुर के लिए रवाना हो गए हैं और इस अनुसंधान में जुटे हैं कि फर्जी आदेश कैसे आया ? इस पूरे मामले में कडाणा विभाग की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही हैं, क्योंकि जिस भूमि का नामांतरण खोल कर रजिस्ट्री की गई थी. उस भूमिका मूल मालिक कडाणा विभाग है, लेकिन इस विभाग की ओर से अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
Reporter- Akhilesh Sharma
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