Rajasthan news : राजस्थान की मिट्टी के शौर्य और वीरता की गाथा पूरी दुनिया गा रही थी. जिसमें राणा कुंभा का काल राजपूतों का स्वर्णकाल रहा. लेकिन किसे पता था कि कुंभा के घर का चिराग ही मेवाड़ का कलंक बनेगा, जो मुगलों तक मदद मांगने पहुंच गया था.
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Rajasthan Mewar King : राजस्थान के मेवाड़ राजा राणा कुंभा के नेतृत्व में राजपूत सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. राजा राणा कुंभा, हमेशा की तरह कुंभलगढ़ के कुंभा श्याम मंदिर में प्रार्थना कर रहे थे. कि तभी बेटे उदय सिंह प्रथम ने कुंभा की हत्या कर दी. उदय सिंह को ये डर था कि गद्दी के उत्तराधिकारी के तौर पर उसे मौके नहीं मिलेगा.
मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत , उदय सिंह प्रथम के हाथ में सत्ता की चाभी महज 5 तक रही यानि की साल 1468 से लेकर 1473 तक रही. ब्रिटिश काल में लेफ्टिनेंट कर्नेल जेम्स टॉड ने उस समय राजपूताना के नाम से जाना जाने वाले इलाके के बारे में बहुत कुछ लिखा था.
राणा कुंभा की हत्या के बाद मेवाड़ टूट रहा था. उदय सिंह ने खुद को राजा घोषित कर दिया था और सत्ता संभाल ली थी. 5 साल तक मेवाड़ पर शासन करने के बाद, उदयसिंह को अपने ही भाई रायमल से हार मिली और मेवाड़ से वो भाग निकला. उदय सिंह ने छल से ये सत्ता हासिल की थी.
बेहद कमजोर राजा उदय सिंह फिर दिल्ली सुल्तान से मदद मांगने पहुंच गया था. लेकिन सुल्तान से मिलकर लौटने के समय ही बिजली गिरने से उसकी मौत हो गयी और मेवाड़ के सूर्यवंशी राजाओं की विरासत से एक कलंकित बेटे का नाम हमेशा के लिए कुदरत ने ही मिटा दिया. मेवाड़ की वंशावली से ही उदय सिंह प्रथम को हटाया गया, ये ही नहीं हत्यारा उपनाम से संबोधित किया गया. ये ही वजह है कि उसके बारे में कम ही सुनने और पढ़ने को मिलता है.
राजपूताना इतिहास जो की साहस और वीरता से भरा है. लेकिन हर सिक्के का दूसरा पहलू भी होता है. कुछ ऐसा ही उदय सिंह प्रथम की इस कहानी से साबित होता है. जो राजा बना भी तो सिर्फ नाम का क्योंकि उसने कभी प्रजा के मन में इज्जत हासिल नहीं की और ना ही इतिहास में.