Rajasthan Politics: राजस्थान में 9 जिलों को रद्द करने को लेकर पूर्व CM अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि दूदू प्रयोग था, लेकिन बाकी जिले सोच समझ कर बनाए थे.
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Rajasthan Politics: भजनलाल सरकार के 9 जिले और तीन संभाग खत्म करने फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हैरानी जताई है. गहलोत ने कहा कि हमने सोच समझकर निर्णय लिया था, सभी जिले जनता की मांग और सहूलियत के हिसाब से बनाए गए थे केवल दूदू को प्रयोग के रूप में जिला बनाया गया था. 1 साल बाद इन्होंने पता नहीं क्यों जिलों और संभाग को खत्म करने का निर्णय लिया ?
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से कहा, '' इस सरकार ने 1 साल लगा दिया निर्णय करने में उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी कन्फ्यूजन इनके दिमाग में चल रही थी. यह काम तो वह पहले भी कर सकते थे, जब बिना सोचे समझे ही करना था तो पहले भी कर सकते थे.''
गहलोत ने कहा कि राजस्थान नंबर एक प्रदेश है जहां दूरियां बहुत ज्यादा है. इसके बावजूद भी जिले बनाए गए. वह सोच समझकर बनाए गए. तीन संभाग बनाए गए इसमें हमारी यह सोच थी कि ज्यादा अच्छी गवर्नेंस होगी. लोग परेशनी लेकर आते हैं उनका निपटारा करने में भी छोटे जिले होने पर प्रशासनिक अधिकारियों को कम समय लगेगा.
उन्होंने कहा कि SDM कलेक्टर भी छोटा जिला होने पर आसानी से कम कर सकते हैं, चाहे लॉ एंड ऑर्डर हो, चाहे भ्रष्टाचार की बात हो या कोई प्रशासनिक काम हो या योजना में हो उनके आराम से मॉनिटरिंग हो सकती है. तमाम बातों में छोटे जिले जनता के लिए लाभदायक हैं.
गुजरात छत्तीसगढ़ में हमसे कम आबादी लेकिन जिले ज्यादा
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा,'' गुजरात हमसे कम आबादी वाला प्रदेश है, छत्तीसगढ़ कम आबादी वाला प्रदेश है, वहां 33 जिले हो सकते हैं , मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल हमसे काम है वहां 53 जिले हैं. उसके बाद भी 'उन्होंने' हमारे जिले खत्म कर दिए.
नीमकाथाना को लंबे समय से जिला बनाने की मांग की जा रही थी. अनूपगढ़ में आंदोलन किया गया, लोगों ने जूते पहनना छोड़ दिए... सालों तक जिला बनने के बाद जूते पहनना शुरू किया, यह तमाम डिसीजन आनन फानन में किया गया है.''
दूदू सबसे छोटा जिला एक प्रयोग था
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा एक जिला हमने छोटा बनाया था दूदू... जो एक प्रयोग के रूप में था. जिलों की आबादी 35 लाख थी लेकिन दूदू में यह 15 लाख तक पहुंच गई. आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश हो या गुजरात हो एक स्टडी करनी चाहिए.
उन्होंने कहा,'' किस तरह से डीग को खत्म नहीं किया गया जबकि वह 35 किलोमीटर भरतपुर जिले से है. अगर दूरी मैटर करती तो फिर उसको क्यों नहीं खत्म किया? बाकी जो सो सवा सौ किलोमीटर पर मुख्यालय हैं- जैसे सांचौर ,अनूपगढ़ इनका मुख्यालय ही 135 किलोमीटर दूर है... पता नहीं इन्होंने क्या सोच कर फैसला किया.
हमने सोच समझकर यह निर्णय लिया था, हमने चुनाव में फायदे के लिए निर्णय नहीं लिया था. चुनाव में तो नफा नुकसान होता रहता है वह चलता रहता है लेकिन हमने प्रशासनिक हित से जनहित में प्रदेश के विकास को गति मिले इसके देखते हुए जिले बनाए थे.