Kota News: कोटा में वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ का 11वां द्विवार्षिक अधिवेशन शुक्रवार और शनिवार को कोटा में आजोजित किया जा रहा है. तीन रेल मंडलों के हजारों रेल कर्मचारी इस अधिवेशन में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. रेल कर्मचारियों के हितों से जुड़े मुद्दों को लेकर इस अधिवेशन में आवाज उठती हुई नजर आ रही है.
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Kota: कोटा में वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ का 11वां द्विवार्षिक अधिवेशन शुक्रवार और शनिवार को कोटा में आजोजित किया जा रहा है. तीन रेल मंडलों के हजारों रेल कर्मचारी इस अधिवेशन में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. रेल कर्मचारियों के हितों से जुड़े मुद्दों को लेकर इस अधिवेशन में आवाज उठती हुई नजर आ रही है. मुख्य मांगों में न्यू पेंशन स्कीम को रद्द करवाने के साथ ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग भी शामिल है.
भारतीय रेलवे में 300 से ज्यादा श्रेणियों में रेल कर्मचारियों को रखा गया है. जिसको लेकर भी आवाज उठी. वहीं, रेलवे के निजीकरण को लेकर भी नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के पदाधिकारियों ने आवाज उठाई. इन मांगों पर लम्बे समय से आवाज उठती रही, लेकिन एनएफआईआर महामंत्री और राघवैया के अनुसार इस बार रेल कर्मचारी इन मांगों को लेकर आर पार की लड़ाई के मुद्दे में हैं. इस दौरान वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के महामंत्री अशोक शर्मा, जोन के अध्यक्ष सीएम उपाध्याय और मंडल मंत्री अब्दुल खालिक मौजूद रहे.
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300 से अधिक श्रेणियों में रेल कर्मचारियों को रखा
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के महामंत्री अशोक शर्मा ने बताया कि भारतीय रेलवे में 300 से अधिक श्रेणियों में रेल कर्मचारियों को रखा गया है. इन सभी कर्मचारियों ने निष्ठा और समर्पण के साथ अपने कर्तव्य का पालन करते हुए माल ढुलाई के लिए वर्ष 2001 के 2022 के दौरान 1418 मेट्रिक टन से अधिक का लक्ष्य हासिल किया. जो अभूतपूर्व था. इसी तरह रेलवे की सभी श्रेणियों में कार्यरत कर्मचारियों के समर्पण के कारण रेलवे की कमाई में भी सुधार हुआ है. चालू वित्त वर्ष 2022-2023 में पिछले 6 महीने के दौरान रेलवे की कमाई में 17 फ़ीसदी से अधिक सुधार हुआ है. और उम्मीद है कि इस वर्ष भारतीय रेलवे 5 मिलियन टन प्रतिदिन की दर से माल ढुलाई का लक्ष्य हासिल कर लेगा.
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रेलवे के पदाधिकारियों ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार विभिन्न उपायों का सहारा लेकर रेलवे की गतिविधियों का निजीकरण पैसेंजर/एक्सप्रेस ट्रेन को निजी ऑपरेटर को सौंपने का प्रस्ताव रेल उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण रेलवे संपत्तियों का मुद्रीकरण जैसा नासमझी भरी कार्रवाई बिना सोचे कि अंत इससे देश और रेलवे को कितना बड़ा नुकसान होगा.
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