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Sawai Madhopur News: रणथंभौर टाइगर सेंचुरी में चौदह वर्षीय बाघ टी -86 की हत्या प्रदेश में बाघ संरक्षण अभियान को गहरा झटका है. कुछ दिन पहले बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी बाघिन आरवीटी -2 का कंकाल मिला था. वन विभाग इस लापता बाघिन के रेडियो कॉलर लगे होने के बावजूद संदिग्ध स्थितियों में उसकी मृत्यु के बीस दिन बाद तक इसका शव नहीं खोज सका था. इस बाघिन का एक शावक लापता है और दूसरे की पहले ही मृत्यु हो चुकी है. ये हालात बहुत गंभीर चूक हैं. मैंने तब भी इसकी न्यायिक जांच की मांग उठायी थी.
प्रदेश में सरिस्का टाइगर रिजर्व, रणथंभौर टाइगर रिजर्व जैसे विश्व प्रसिद्ध अभयारण्य हैं. मुकंदरा, रामगढ़ विषधारी, कुंभलगढ़, धौलपुर -करौली के जंगलों में भी टाइगर रिजर्व स्थापित हुए हैं. लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता से प्रदेश में बाघ संरक्षण अभियान पर गहरा आघात पहुंच रहा है.
उदयपुर के गोगुंदा इलाके में ' लेपर्ड अटैक ' का मुद्दा भी संवेदनशील है. बाघ, लेपर्ड, पैंथर जैसे दुर्लभ वन्य जीवों और मानव में बढ़ता संघर्ष अनेक गंभीर प्रश्नों को जन्म देता है. मेरी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ( एनटीसीए) से मांग है कि वह अपना उच्च स्तरीय जांच दल राजस्थान के इन वन्य जीव अभयारण्यों की स्थितियों की जांच करने तत्काल भेजे. सरिस्का टाइगर रिजर्व में 43 और रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 81 बाघ हैं.
इनका संरक्षण होना चाहिए. सरिस्का का बाघ एसटी -24 दो साल से जयपुर के पास जमवा रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में विचरण कर रहा है. बाघों का पुनर्वास एक बड़ी चुनौती है. राजस्थान में बाघ संरक्षण अभियान पर नये सिरे से मंथन और संरक्षण की जरूरत है. राज्य के वन विभाग की गंभीर चूक की कीमत राष्ट्रीय महत्व के ये अभयारण्य चुका रहे हैं. प्रदेश में बाघ खतरे में हैं. अतएव एनटीसीए तत्काल दखल दे.
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