Supreme Court News: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने 1961 के चुनाव नियमों में सीसीटीवी तक सार्वजनिक पहुंच नहीं होने सहित हालिया संशोधनों के खिलाफ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की याचिका पर केंद्र और चुनाव पैनल से जवाब मांगा है.
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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की उस याचिका पर केंद्र और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा, जिसमें 1961 के चुनाव संचालन नियम में हाल के संशोधनों को चुनौती दी गई है. संशोधित नियम सीसीटीवी और अन्य चुनाव संबंधी दस्तावेजों तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं.
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कांग्रेस नेता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया और याचिका पर नोटिस जारी किया. पीठ ने कहा कि वह 17 मार्च से शुरू हो रहे सप्ताह में याचिका पर सुनवाई करेगी.
याचिका पर इस सप्ताह में होगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की उन दलीलों पर ध्यान दिया जो रमेश की ओर से पेश की गई थीं.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 1961 के चुनाव आचरण नियमों में संशोधन बहुत चतुराई से किए गए थे. सीसीटीवी फुटेज तक किसी भी पहुंच पर रोक लगा दी गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि इससे मतदाता की पहचान उजागर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि मतदान के विकल्प कभी सामने नहीं आए और सीसीटीवी फुटेज से वोटों का पता नहीं चल सका.
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वरिष्ठ वकील ने पीठ से किया था आग्रह
वरिष्ठ वकील ने पीठ से आग्रह किया कि वह भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) और केंद्र से सुनवाई की अगली तारीख से पहले अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहें, अन्यथा वे आएंगे और कहेंगे कि उस दिन जवाब दाखिल करने की जरूरत है. सीजेआई ने कहा, कि वे जवाब दाखिल करेंगे.
कांग्रेस नेता ने 1961 के नियमों में हाल ही के संशोधनों को चुनौती देते हुए दिसंबर में रिट याचिका दायर की और उम्मीद जताई कि शीर्ष अदालत चुनावी प्रक्रिया को तेजी से खत्म हो रही अखंडता को बहाल करने में मदद करेगी. सरकार ने उम्मीदवारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे और वेब कास्टिंग फुटेज जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण के अलावा उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग को रोकने के लिए एक चुनाव नियम में बदलाव किया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा था...
रमेश ने कहा था कि 'चुनावी प्रक्रिया की अखंडता तेजी से खत्म हो रही है. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा. उन्होंने पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा था कि चुनाव संचालन नियम, 1961 में हालिया संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है.
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निर्लज्ज तरीके से संशोधन करने की नहीं जा सकती अनुमति
रमेश ने कहा कि ईसीआई, एक संवैधानिक निकाय है, जिस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है. उसे एकतरफा और सार्वजनिक परामर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण कानून में इतने निर्लज्ज तरीके से संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि यह सच है जब वह संशोधन आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को खत्म कर देता है जो चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है.
ईसीआई की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने दिसंबर में 1961 के नियमों के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया, ताकि सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले कागजात या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित किया जा सके.(भाषा)