Sri Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम में आज सुनवाई होगी. मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 26 मई के आदेश को चुनौती दी गई है.
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Sri Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम में आज (9 जनवरी) सुनवाई होगी. शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 26 मई के आदेश को चुनौती दी गई है. बता दें कि मथुरा अदालत के समक्ष लंबित विवाद से संबंधित सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 26 मई के आदेश को चुनौती दी गई है.
इलाहाबाद HC के सर्वे के आदेश पर भी होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने विवादित परिसर के सर्वे के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर को विवादित परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया था. इसके लिए 3 कमिश्नर नियुक्त किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को खारिज कर दी थी ये याचिका
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने ने उत्तर प्रदेश सरकार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान का अधिग्रहण करने और उसे पूजा के लिए हिंदुओं को सौंपने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज किया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के 11 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, 'यह मुद्दा पहले से ही उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है. एक से ज्यादा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए.'
याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने भी मुकदमे लंबित होने के आधार पर जनहित याचिका खारिज कर दी थी. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर की थी और इसलिए इसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. पीठ ने आदेश में कहा, 'हम आक्षेपित निर्णय में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है. हम स्पष्ट करते हैं कि याचिका खारिज किया जाना किसी भी कानून को चुनौती देने के पक्षों के अधिकारों पर टिप्पणी करना नहीं है और न ही किसी भी कानून को चुनौती देने से रोकना है.'
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)