FIFA Ban AIFF: 85 साल के इतिहास में पहला अवसर है जबकि फीफा ने एआईएफएफ पर बैन लगाया. फीफा ने कहा था कि निलंबन तुरंत प्रभाव से लागू होगा. कोर्ट ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था.
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Supreme Court on AIFF Ban: सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) मामले की सुनवाई 22 अगस्त तक टाल दी है. केंद्र ने कहा है कि भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप कराने को लेकर फीफा से बातचीत जारी है. कोर्ट ने केंद्र से विश्व कप भारत में कराने और एआईएफएफ का निलंबन हटाने के लिए जरूरी उपाय करने के लिये भी कहा है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, ए एस बोपन्ना और जे बी पारदीवाला की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सरकार और प्रशासकों की समिति ने फीफा के साथ दो बैठकें की हैं और भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप कराने की कोशिशें जारी हैं.
22 अगस्त तक टली सुनवाई
उन्होंने मामले की सुनवाई 22 अगस्त तक स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा ताकि एआईएफएफ के सक्रिय पक्षों के बीच सहमति बन सके. मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के यह कहने से काफी मदद मिलेगी कि सभी पक्ष मामले का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा-अंडर 17 बड़ा टूर्नामेंट
बेंच ने कहा कि अंडर-17 बच्चों के लिये यह बड़ा टूर्नामेंट है और उसे इसी से सरोकार है कि टूर्नामेंट भारत में हो . बेंच ने कहा कि कोई बाहरी इसमें दखल देगा तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बेंच ने केंद्र से इस मसले पर सक्रिय भूमिका निभाने और एआईएफएफ का निलंबन हटाने में मदद के लिए कहा.
FIFA ने AIFF को किया है निलंबित
भारत को करारा झटका देते हुए विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने मंगलवार को तीसरे पक्ष की ओर से गैर जरूरी दखल का हवाला देकर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को निलंबित कर दिया और उससे अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी अधिकार छीन लिए. भारत को 11 से 30 अक्टूबर के बीच फीफा प्रतियोगिता की मेजबानी करनी थी.
85 साल में पहली बार हुआ ऐसा
यह पिछले 85 साल के इतिहास में पहला अवसर है जबकि फीफा ने एआईएफएफ पर बैन लगाया. फीफा ने कहा था कि निलंबन तुरंत प्रभाव से लागू होगा. कोर्ट ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और एआईएफएफ के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए आर दवे की अगुआई में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन किया था. इसके बाद से ही प्रतिबंध लगने की आशंका जताई जा रही थी.
(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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