Milkipur By-Election Phalodi Satta Bazaar: 8 फरवरी को मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे आ रहे हैं लेकिन एक तरफ एग्जिट पोल के आंकड़े और दूसरी तरफ फलोदी सट्टा बाजार ने दलों की बेचैनी बढ़ा दी है क्योंकि पहली बार मिल्कीपुर में अब तक का सबसे ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड बना है, यानी वोटर भी पूरे मूड में हैं.
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Milkipur By-Election 2025: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव भाजपा और सपा दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है. समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. 5 फरवरी को हुए मतदान में इस सीट ने नया रिकॉर्ड बना दिया. मिल्कीपुर सीट पर पहली बार 65.25% वोटिंग दर्ज हुई, जिससे जाहिर होता है वोटर्स ने भी इस चुनाव में पूरी दिलचस्पी ली है. ज़ी न्यूज की एआई एंकर Zeenia के एग्जिट पोल की बात करें तो भाजपा को 52 और सपा को 48 फीसद वोट मिले हैं.
मिल्कीपुर में अब तक 17 बार हुए चुनाव में 65.25% अब तक का सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत है, जो पारंपरिक उपचुनावों की तुलना में काफी अधिक है. हालांकि नतीजे तो 8 फरवरी को आ रहे हैं लेकिन फलोदी सट्टा बाजार ने अभी से हार-जीत तय कर दी है.
चंद्रशेखर की एंट्री ने सपा को दिया झटका
मिल्कीपुर सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. हालांकि, इस बार मुकाबला आसान नहीं दिख रहा. चंद्रशेखर आजाद की पार्टी से सूरज चौधरी के मैदान में उतरने से सपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कभी सपा के करीबी रहे सूरज चौधरी के चुनाव लड़ने से समाजवादी वोट बैंक में सेंध लगती नजर आ रही है. भाजपा को सपा से 4 फीसद ज्यादा वोट मिलना भी यही वजह हो सकती है.
भाजपा के लिए भी आसान नहीं राह
बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान को भी कड़ी टक्कर मिल रही है. उनके नामांकन के समय जुलूस जैसा माहौल दिखा, लेकिन मंच से कई स्थानीय बीजेपी नेता नदारद रहे. टिकट मांगने वाले कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है.
पासी वोटर करेंगे फैसला ?
मिल्कीपुर सीट पर जातीय समीकरण भी अहम भूमिका निभाएंगे. यहां 1.60 लाख दलित मतदाता हैं, जिनमें पासी समुदाय का बड़ा प्रभाव है. मायावती की बसपा चुनाव से बाहर है और किसी दल को समर्थन नहीं दिया है, जिससे पासी वोटों में बिखराव हो सकता है. भाजपा इस चुनाव में ब्राह्मण, ठाकुर, ओबीसी और गैर पासी दलित वोटों पर ज्यादा फोकस कर रही है.
इतिहास क्या कहता है ?
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पारंपरिक रूप से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. पिछले पांच चुनावों में सिर्फ एक बार बीजेपी को जीत मिली, जबकि चार बार सपा ने बाजी मारी. यही कारण है कि सपा के उम्मीदवार अजीत प्रसाद को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
अब देखना यह होगा कि 8 फरवरी को आने वाले नतीजे में पासी वोट किसका भाग्य चमकाते हैं – भाजपा या समाजवादी पार्टी ?
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