Noida News: नोएडा में प्राधिकरणों ने डीएनडी को बनाने के लिए टोल ब्रिज कंपनियों को दी गई जमीनो में से बची हुई जमीनों को वापस लेने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. चालको से लगातार टोल टैक्स लिया गया इसके बाद फोनरोवा ने न्यायालय में मामला दर्ज भी करवाया है.
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Noida News Hindi : नोएडा प्राधिकरण ने डीएनडी को बनाने के लिए नोएडा टोल ब्रिज कंपनी को दी गई जमीन में से बची हुई जमीन को वापस लेने की तैयारी शुरू कर दी है. कंपनी ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. करीब 330 एकड़ जमीन टोल ब्रिज कंपनी के पास है. नोएडा में अरबों रुपये की जमीन वापस मिलने पर प्राधिकरण आगे की योजना की तैयारी शरू करेगा. अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है जिस पर विचार किया जाएगा.
नोएडा प्राधिकरण ने करीब 480 एकड़ की जमीन को 25-26 साल पहले नोएडा-दिल्ली को जोड़ने के लिए जमीन दी थी. नोएडा के अलावा दिल्ली सरकार सिंचाई विभाग के साथ अन्य विभागों ने भी जमीन दी थी इसमें डूब क्षेत्र और अलग-अलग तरह की जमीन शामिल थी. साल 2002 में डीएनडी की शुरू हो गई थी. कंपनी की ओर से वाहन चालकों से लगातार टोल टैक्स लिया और उसमें बढ़ोतरी को लेकर फोनरवा ने साल 2012 में उच्च न्यायालय में मामला दर्ज करवाया.
संगठनों ने डीएनडी टोल फ्री को लेकर किया प्रदर्शन
अलग-अलग संगठनों ने डीएनडी टोल फ्री को लेकर प्रदर्शन किया है. अक्टूबर 2016 में उच्च न्यायालय के आदेश पर डीएनडी को टोल फ्री चलाया जा रहा है इस आदेश के खिलाफ नोएडा टोल ब्रिज कंपनी न्यायालय में चली गई तब से ही डीएनडी टोल फ्री चल रहा है लेकिन और मामलों में लगातार सुनवाई हो रही है. टोल ब्रिज को दी गई कुल 480 एकड़ में से अभी भी 330 एकड़ जमीन खाली पड़ी है. जमीन को वापस करने के लिए कम से कम सात साल पहले एक सर्वे किया गया था इसके बाद भी कोई बात आगे नहीं बढ़ पाई है.
सीईओ के निर्देश पर प्रधिकरण आधिकारियों की बैठक
टोल ब्रिज कंपनी को दी गई जमीन में से 150 एकड़ में डीएनडी के अलावा कंपनी के ऑफिस में अन्य चीजें बनी हुई हैं. सीएजी ने भी खाली जमीन को लेकर कष्ट उठाए थे इसके तुंरत बाद तीन महीने पहले सीईओ ने जमीन को वापस लेने के लिए एक बैठक बिठाई थी. सीईओ के निर्देश पर प्राधिकरण अधिकारियों ने टोल ब्रिज कंपनियों के साथ एक मीटिंग भी की थी जिसमें अधिकारियों ने बताया की जमीन को वापस लेने की अब प्रक्रिया शुरू कर दी गई है इसको लेकर एक बैठक और की जाएगी.
सात साल पहले तैयार की गई थी सर्वे रिपोर्ट
सिविल नोएडा ने 5 अगस्त और 16 अगस्त 2016 को सर्वे रिपोर्ट को नोएडा के सीईओ के सामने प्रस्तुत की थी. रिपोर्ट में टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं थे इसके बाद फिर से सबंधित अधिकारियों से हस्ताक्षर कराकर बची हुई जमीन पर कब्जा पाने के लिए 1 मार्च 2017 को अनुमोदन कर दिया था.