कुशीनगर जनपद को 30 नवम्बर 2018 को ओडीएफ घोषित कर दिया. कुशीनगर जिले के साथ ही जंगल जगदीशपुर गांव भी ओडीएफ हुआ था, लेकिन इस गांव के टोला भरपटिया के अधिकतर गरीबों के पास आज भी शौचालय नहीं है.
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कुशीनगर: आपने सिल्वर स्क्रीन पर टॉयलेट की समस्या को एक प्रेमकथा के जरिये देखा है. लेकिन कुशीनगर में टॉयलेट को लेकर बहुओं ने बगावत कर दी. उन्होंने अपने ससुराल से मुंह मोड़ कर मायके की ओर कर लिया क्योंकि ससुराल में टॉयलेट नहीं था. इन बेबाक बहुओं ने साफ कहा है कि ससुराल में जब तक टॉयलेट नहीं होगा, वो वापस नहीं जाएंगी. अब सरकारी अधिकारी इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि कुशीनगर कागजों पर ओडीएफ घोषित हो चुका है.
पडरौन तहसील के जगदीशपुर में दर्जनों बहुओं ने छोड़ा ससुराल
पडरौना तहसील के जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया में लगभग डेढ दर्जन बहुएं ससुराल छोड़कर मायके चलीं गयीं हैं. दुल्हनों का कहना है कि शौचालय के बगैर उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी और जब तक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तब तक वे मायके में ही रहेगी. बहुओं की ये बगावत पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.
क्या कहती हैं बगावती बहुएं?
शौचालय निर्माण का सच सामने लाने वाली इन बहुओं का कहना है कि गांव के एक तरफ नाला है तो दूसरी तरफ नहर जिससे चारों तरफ पानी लगता है. ऐसे में जब तक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है, वहां नहीं जाएंगे. टोला भरपटिया की आबादी तकरीबन 1000 है और यहां ज्यादातर लोग आर्थिक तौर पर संपन्न नहीं हैं. गरीबों की बस्ती होने के बाद भी अधिकतर के पास शौचालय नहीं है.
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साल 2018 में ही ODF हो चुका है कुशीनगर
स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुशीनगर जनपद में तकरीबन 4 लाख शौचालय बनने थे. कुशीनगर जनपद को 30 नवम्बर 2018 को ओडीएफ घोषित कर दिया. कुशीनगर जिले के साथ ही जंगल जगदीशपुर गांव भी ओडीएफ हुआ था, लेकिन इस गांव के टोला भरपटिया के अधिकतर गरीबों के पास आज भी शौचालय नहीं है. गांव के ग्रामप्रधान और जिला पंचायतराज अधिकारी एमआईएस और सूची का हवाला दे रहे हैं. हालांकि एमआईएस कराने की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान, ब्लॉक और डीपीआरओ के ही कंधों पर होती है. ऐसे में यहां के गरीबों को टॉयलेट कैसे नहीं मिला, इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा.
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