Joshimath News: आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का दावा है कि उत्तराखंड के जोशीमठ को दोबारा बसाना खतरनाक हो सकता है. इलाका लैंड स्लाइड जोन में बसा है, ऐसे में यह बड़ी तबाही की वजह बन सकता है.
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श्याम जी तिवारी/कानपुर: उत्तराखंड के चमोली जिले (Chamoli News) का जोशीमठ (Joshimath Sinking) इन दिनों चर्चा में बना हुआ है. जोशीमठ के अस्तित्व पर खतरा मडंरा रहा है. इसी बीच आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के भू वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा (Pro. Rajeev Sinha) ने एक बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि दरारों के बाद जोशीमठ को दोबारा बसाना खतरनाक हो सकता है. उन्होंने हाल में ही वहां ड्रोन सर्वे किया हैं. वह ही जल्द सरकार को अपनी रिपोर्ट देंगे.
लैंड स्लाइडिंग जोन में जोशीमठ
प्रो. सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ लैंड स्लाइडिंग जोन में है. यहां दशकों से स्लाइडिंग होने से पत्थर कमजोर हो गए हैं. अधिकतर घर व होटल इसके मलबे पर खड़े हैं. पहाड़ अपलिफ्ट हो रहे हैं, जिससे मलबा खिसक रहा है. यह कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि बिना भूकंप, बाढ़ या बारिश के ही जमीन धंस रही है. इस वक्त अगर बारिश होती या भूकंप आता तो त्रासदी बहुत भयावह हो सकती है. यह संकट और बढ़ सकता है.
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जोशीमठ और आसपास के इलाकों को तुरंत खाली कराना जरूरी
प्रोफेसर ने आगे कहा कि कई जगहों पर पानी का रिसाव हो रहा है. पत्थर में जमे पानी का प्रेशर बढ़ गया है. जिससे जमीन खिसक रही है. बरसात का मौसम यहां और खतरनाक हो सकता है. वहीं छोटा सा भूकंप भी बड़ी तबाही का कारण बन सकता है. उन्होंने बताया कि ड्रोन सर्वे में जोशीमठ और आस-पास के इलाके का काफी डेटा मिला है. इसका विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. यह रिपोर्ट 15 दिन में भारत सरकार को सौंपी जाएगी. प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ और आसपास के इलाकों को तुरंत खाली कराना चाहिए. यहां स्टडी कर बफर जोन बनाना जरूरी है.
678 मकान खतरे की जद में
सीएम धानी ने बताया कि अभी जोशीमठ के 81 परिवारों को अस्थायी तौर पर शिफ्ट कर दिया गया है. 678 मकान खतरे की जद में हैं. ऐसे में सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की योजना है, जिसे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है.
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