निकाय चुनाव के लिए बीजेपी, सपा और बीएसपी सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी और दलित वोट बैंक पर सेंध लगाना चाहती है. आइए जानते हैं क्या है बीजेपी की रणनीति.
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लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी नगरीय निकाय चुनाव में अपनी ताकत को आजमाने का एक बड़ा मौका मान रही है. इसी कड़ी में पार्टी 17 नगर निगमो में 68 सामाजिक सम्मेलन करने जा रही है. इन सम्मेलनों में केंद्रीय मंत्रियों के साथ योगी कैबिनेट के मंत्रियों की भी ड्यूटी लगाई जाएगी. बताया जा रहा है कि पार्टी सामाजिक सम्मेलन के जरिए दलित और ओबीसी वोट बैंक को साधने की तैयारी में है. ये सम्मेलन 7 से 9 अप्रैल के बीच आयोजित किए जाएंगे.भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रवार स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखकर सामाजिक सम्मेलन आयोजित करेगी. 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने प्रदेश की 80 में से 73 पर जीत हासिल की थी.
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बीजेपी 71 और अनुप्रिया पटेल की अपना दल को दो सीटों मिली थीं. लेकिन 2019 के चुनाव में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के चलते बीजेपी का समीकरण गड़बड़ा गया था. ऐसे में बीजेपी गठबंधन 80 लोकसभा सीटों में से 64 सीटें ही जीत सकी थी. 2019 में भाजपा को बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, राययबरेली, घोसी, लालगंज, जौनपुर, अंबेडकर नगर, गाजीपुर, श्रावस्ती, मैनपुरी, सहारनपुर, आजमगढ़, रामपुर सीट पर जीत हासिल की थी.
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अखिलेश की भी दलित वोट पर नजर
दलित वोट बैंक की अहमयित सपा को भी पता है.यही वजह है कि सपा सुप्रीमो 3 अप्रैल को रायबरेली में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं. यूपी में उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर 20 फीसदी हैं. 2019 में 80 में 17 लोकसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रहीं. इनमें 14 में भाजपा को जीत मिली थी.
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