Devipatan Mandir : 22 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ चैत्र नवरात्र के पहले दिन बलरामपुर के देवीपाटन मंदिर में मां दुर्गा की पूजा करेंगे. इस दौरान वह मंदिर के विकास को लेकर कुछ अहम घोषणाएं कर सकते हैं. आइए जानते हैं क्या देवीपाटन मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व.
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बलरामपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार शाम बलरामपुर के दौरे पर आ रहे हैं. सीएम तुलसीपुर स्थित देवीपाटन मंदिर में रात्रि विश्राम करेंगे. चैत्र नवरात्र से एक दिन पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री सीधे देवीपाटन मंदिर पहुंचेंगे. बताया जा रहा है कि वहां शाम साढ़े पांच बजे से नवरात्र मेले को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. फिर रात्रि विश्राम के बाद बुधवार सुबह पूजन करके मुख्यमंत्री लखनऊ रवाना होंगे. मंदिर के महंत मिथिलेश नाथ योगी के मुताबिक मुख्यमंत्री चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां का पूजन करेंगे. आइए जानते हैं क्या है देवीपाटन मंदिर का इतिहास और इस मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं.
गर्भ गृह में स्थित है सुरंग
देवीपाटन मंदिर का उल्लेख स्कन्दतालिका, देवी भागवत, शिव चरित और महापुराणों में है. यह प्रसिद्ध शक्ति पीठ में एक है. मान्यता है कि यहां खण्डित मां सती का बांया स्कन्द (कंधा) पाटम्बर समेत आ गिरा था. उसी समय से इस पवित्र स्थान का नाम मां पाटेश्वरी देवीपाटन मंदिर पड़ गया है. बताया जाता है कि त्रेतायुग में मां सीता का पातालगमन भी देवीपाटन से ही हुआ था. उस समय की सुरंग यहां आज भी गर्भगृह में स्थित है. अर्थात देवीपाटन सिद्ध योगपीठ तथा शक्तिपीठ दोनों है. मंदिर के उत्तर दिशा में सूर्यकुण्ड है. कहते हैं कि यहां रविवार को षोडशोपचार पूजन करने से कुष्ठरोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवीपाटन मंदिर के गर्भगृह से पाताल तक अति प्राचीन सुरंग बनी हुई है. त्रेतायुग से यहां जल रही अखंड ज्योति में मां दुर्गा की शक्तियों का वास बताया जाता है. इस गर्भगृह में कोई प्रतिमा नहीं है बल्कि इसके शीर्ष पर कई महंगे रत्न से जड़ित छतरी और ताम्रपत्र पर दुर्गा सप्तशती अंकित हैं.
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पशु पक्षियों को पहले चढ़ाया जाता है प्रसाद
देवीपाटन मंदिर प्रकृति की गोद में बना है. यहां आज भी भक्तों से पहले पशु-पक्षियों को मंदिर में चढ़ाया गया प्रसाद वितरित करने की परंपरा है. मां भगवती को भोग लगाने के बाद सभी तरह के पशु-पक्षियों को बड़ी श्रद्धा से परंपरागत रूप से भोजन कराया जाता है. जैसे ही मंदिर में प्रसाद का घंटा बजता है पशु पक्षी खुद ही वहां एकत्र हो जाते हैं. इन पक्षियों की मनमोहक चहचहाहट से वातावरण में पर्यावरण और आस्था का अद्भभुत संगम नजर आता है.
ये वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं
चैत्र व शारदीय नवरात्र पर यहां विशेष उत्सव के साथ मेला लगता है. इस समय माता के दर्शनार्थियों की विशाल भीड़ आती है. मंदिर में प्रसाद के रूप में चुनरी, नारियल, चुनरी, लावा, नथुनी, सिन्दूर, मांगटीका, चूड़ी, बिछिया, पायल, कपूर, धूप, लौंग, इलाइची, फूल, चरणामृत और प्रमुख रुप अर्पित किया जाता है.
मंदिर बनेगा पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देवीपाटन मंदिर के मुख्य संरक्षक बताए जाते हैं. सीएम योगी का गौमाता व अन्य पशु-पक्षियों से लगाव किसी से छिपा नहीं है. सीएम योगी इसे पर्यटन स्थल घोषित कर सकते हैं. सीएम अपने दौरे के दौरान मंदिर के विकास से जुड़ी कुछ अहम सौगात दे सकते हैं. ऐसी लोक मान्यता है कि यहां विद्यमान सूर्यकुंड, त्रेतायुग से जल रही अखंड ज्योति में मां दुर्गा के शक्तियों का वास है. ऐसी मान्यता है कि सिद्ध रत्ननाथ (नेपाल) व गुरु गोरखनाथ को सिद्धि यहीं प्राप्त हुई थी.
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