Shankar Viman Mandapam: श्री आदिशंकर विमान मंडपम क्यों है खास, जानें इस मंदिर की खासियत
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Shankar Viman Mandapam: श्री आदिशंकर विमान मंडपम क्यों है खास, जानें इस मंदिर की खासियत

Shankar Viman Mandapam: प्रयागराज की पुण्य भूमि पर स्थित आदि शंकर विमान मंडपम मंदिर एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बन रहा है. मंदिर की आभा ऐसी है कि वह श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच ही लेती है. इसी आभा के आकर्षण में स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ समय पूर्व मंदिर में विग्रहों के दर्शनों के लिए आ चुके हैं.

Shankar Viman Mandapam: श्री आदिशंकर विमान मंडपम क्यों है खास, जानें इस मंदिर की खासियत

Shankar Viman Mandapam: प्रयागराज की पुण्य भूमि पर स्थित आदि शंकर विमान मंडपम मंदिर एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बन रहा है. मंदिर की आभा ऐसी है कि वह श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच ही लेती है. इसी आभा के आकर्षण में स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ समय पूर्व मंदिर में विग्रहों के दर्शनों के लिए आ चुके हैं.

मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ गई है रुचि

पूरे देश में आदि शंकर विमान मंडपम को लेकर श्रद्धालुओं में काफी रुचि देखी जा रही है. प्रयागपुत्र के नाम से विख्यात राकेश शुक्ला ने बताया कि आदि शंकर विमान मंडपम कुंभ क्षेत्र में भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केंद्र है.

क्यों बनवाया था मंदिर

कांचिकामकोटि के 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने अपने गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की इच्छापूर्ति के लिए श्री आदि शंकर विमान मंडपम का निर्माण कराया. गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने वर्ष 1934 में प्रयाग में चातुर्मास किया था. उन दिनों वो दारागंज के आश्रम में ठहरे थे. प्रतिदिन पैदल संगम स्नान को आते थे. उस दौरान बांध के पास उन्हें दो पीपल के वृक्षों के बीच खाली स्थान नजर आया.

किस संत ने बनवाई है मंदिर

गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया और स्वयं के तपोबल से यह साबित किया कि इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच संवाद हुआ था. इसी स्थान पर गुरु चंद्रशेखरेंद्र ने मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसे शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने पूर्ण किया.

किसने रखी मंदिर की नींव

श्री आदि शंकर विमान मंडपम की नींव वर्ष 1969 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी. गोपाल रेड्डी ने रखी थी. उस समय इंजीनियर बी. सोमो सुंदरम और सीएस. रामचंद्र ने मंदिर का नक्शा तैयार किया था. मंदिर प्रबंधन के साथ उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने भी निर्माण में सहयोग दिया था. जिन 16 पिलर्स पर मंदिर टिका है, उनका निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के तत्कालीन असिस्टेंट इंजीनियर कृष्ण मुरारी दुबे की देख-रेख में कराया गया था.

श्रद्धालुओं के लिए कब खोला गया मंदिर

17 मार्च 1986 को मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. श्री आदि शंकर विमान मंडपम में विग्रह और निर्माण में प्रयोग पत्थर दक्षिण भारत से लाए गए हैं. मंदिर द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का नायाब उदाहरण है. 130 फीट ऊंचे इस मंदिर में श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है. देवी कामाक्षी और 51 शक्तिपीठ के अलावा तिरुपति बालाजी और सहस्र योग लिंग के साथ 108 शिवलिंग मंदिर में स्थापित हैं. गणेश जी का मंदिर भी है. 

कब-कब खुलता है मंदिर

मंदिर प्रातः 6 बजे से दोपहर 1 बजे और सायं 4 से रात्रि 8 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है. मंदिर के ऊपरी तलों से संगम का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. महाकुंभ में भी श्री आदि शंकर विमान मंडपम में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आ रहे हैं.

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