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मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में जाट, मुस्लिम समीकरण के बाद रालोद अब दलित वोट बैंक को भी साधने की कोशिश शुरू कर दिया है. RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) ने पार्टी के सभी विधायकों को अपनी विधायक निधि का 35 प्रतिशत धनराशि दलितों के कल्याण पर खर्च करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस संबंध में रालोद विधानमंडल दल के नेता राजपाल बालियान को पत्र लिखा है.
क्या है रालोद का प्लान?
रालोद ने वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ मिलकर लड़ा था. वेस्ट यूपी में रालोद ने सपा से गठबंधन जाट-मुस्लिम समीकरण को साधने के लिए किया था, लेकिन उम्मीद के अनुसार उतनी कामयाबी नहीं मिली, हालांकि रालोद के आठ प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. अब जयंत चौधरी अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए उनकी नजर दलितों पर है. पार्टी का मानना है कि जाट व दलित यदि एक हो जाएंगे तो पार्टी को आगामी समय मे राजनैतिक लाभ मिलेंगे. इसलिए रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अब अपने विधायकों को अपनी विधायक निधि का 35 प्रतिशत खर्च दलितों के कल्याण में करने के निर्देश दिए हैं.
'अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए करे खर्च'
जयंत चौधरी ने पत्र में लिखा हैं कि ''रालोद के सभी कार्यकर्ता सामाजिक न्याय में अटूट विश्वास रखते हैं और मेरा मानना है कि जब तक समाज के कमजोर, वंचित तबके तक अधिक से अधिक सरकारी योजना का लाभ न पहुंचे, तब तक बड़े सामाजिक सुधार और सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है. इसी उद्देश्य से मैंने विचार किया है कि हमारे दल के विधायकों की जो क्षेत्रीय विकास निधि है, उसमें 35 प्रतिशत से अधिक आप अपने क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए खर्च करेंगे.''
रालोद विधान मंडल दल के नेता राजपाल बालियान का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी का पत्र प्राप्त हुआ हैं, जिसमें सभी रालोद विधायकों को 35 प्रतिशत निधि का खर्च अनुसूचित आबादी क्षेत्रों में करने के लिए कहा है. इस सम्बंध में सभी रालोद विधायकों को जानकारी दे दी गई है.
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