Shamli: 18 महीने में हुए 18 करम, सचिव के कहने के बावजूद नहीं बना जाति प्रमाण पत्र
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Shamli: 18 महीने में हुए 18 करम, सचिव के कहने के बावजूद नहीं बना जाति प्रमाण पत्र

UP News: शामली के आदर्श मंडी निवासी व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र 18 महीने में भी नहीं बन सका. आइए बताते हैं पूरा मामला...

Shamli: 18 महीने में हुए 18 करम, सचिव के कहने के बावजूद नहीं बना जाति प्रमाण पत्र

श्रवण शर्मा/शामली: शामली के आदर्श मंडी थानां क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति का 18 महीनों से जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सका है. जानकारी के मुताबिक क्षेत्रीय विधायक, एमपी और मंत्री सहित सचिव तक मिलने पर आदेश होने पर भी लेखपाल ने जाति प्रमाण प्रत्र नहीं बनाया. जबकि उसकी के भाई का जाति प्रणाम पत्र बना हुआ है. वहीं, अब अपर जिलाधिकारी ने बताया कि टीम भेजकर जांच कराई जा रही है. आइए बताते हैं पूरा मामला.

पीड़ित के मूल निवास की जांच के लिए भेजी गई टीम
आपको बता दें कि जिले के आदर्श मंडी और तहसील शामली के कस्बा बनत के रहने वाले कपिल रावत ने 18 महीने पहले जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था. इसमे एक साल पहले उसके बड़े भाई का जाति प्रमाण पत्र बन गया, लेकिन कपिल रावत का जाति प्रमाण पत्र नहीं बना. वहीं, इस मामले में पीड़ित ने क्षेत्र के विधायक व एमपी और पूर्व मंत्री रहे सुरेश राणा और वर्तमान में लखनऊ मंत्री से भी मिले, अधिकारी को फोन भी कराया, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ.

वहीं, सरकार के विधायक व एमपी ओर मंत्री के कहने पर भी लेखपाल वासीम ने जाति प्रमाण पत्र नही बनाया है जब कि अब पीड़ित व्यक्ति कपिल रावत का कहना है कि एक जाति प्रमाण पत्र के लिये मैने फार्म भरा था ओर जिसको 18 महीने से ज्यादा समय हो गया है. इसको बनवाने के लिए क्षेत्र के बीजेपी पूर्व विधायक, बीजेपी के कैराना एमपी, पूर्व में गन्ना मंत्री रहे सुरेश राणा और लखनऊ में राज्यमंत्री और अधिकारियों से भी फोन कराया, लेकिन शामली लेखपाल वसीम ने जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया है. पीड़ित ने बताया कि बीते साल उसे बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल में उसकी आवश्यकता पड़ी थी.

मामले में अपर जिलाधिकारी ने दी जानकारी
इस मामले में अपर जिलाधिकारी संतोष कुमार यादव ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जाति प्रमाण पत्र के मामले में हम लोगों ने एक टीम बनाकर जहां का पीड़ित व्यक्ति मूल निवासी हैं वहां पर जांच के लिए रवाना किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां रावत जाति के लोग नहीं रहते. उत्तराखंड में ये जाति सामान्य में आती है, जबकि यहां वह एससी का जाति प्रमाण पत्र बनवाना चाहता है. दबाव में आकर किसी का प्रमाण पत्र नहीं बनवाया जाएगा.

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