Tulsi Ke Patte: गंगाजल में क्यों डालते हैं तुलसी के पत्ते, नहीं जानते होंगे इसके पीछे की वजह, जानें इसका धार्मिक महत्व और मान्यता
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Tulsi Ke Patte: गंगाजल में क्यों डालते हैं तुलसी के पत्ते, नहीं जानते होंगे इसके पीछे की वजह, जानें इसका धार्मिक महत्व और मान्यता

Tulsi Ke Patte:  पूजा के गंगाजल में क्यों डालते हैं.. तुलसी में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते है तुलसी के सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद है. जानें तुलसी का हमारे धर्म में महत्व

 

Tulsi Ke Patte: गंगाजल में क्यों डालते हैं तुलसी के पत्ते, नहीं जानते होंगे इसके पीछे की वजह, जानें इसका धार्मिक महत्व और मान्यता

Tulsi Ke Patte Gangajal: भारतीय धर्म  में गंगाजल और तुलसी को काफी पवित्र माना जाता है. पूजा की थाली में  तुलसी दल और गंगाजल का अपना अलग महत्व है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अलावा तुलसी और गंगा जल का औषधीय महत्व भी है. वैसे तो तुलसी के पत्तों और गंगाजल को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं. खासकर पूजा के समय इन दोनों चीजों का होना क्यों जरूरी है ये हम आपको यहां पर बताते हैं.    

1-तुलसी की महिमा अपार
सनातल धर्म में तुलसी को मां का दर्जा दिया गया है. हिंदू धर्म में तुलसी की महिमा अपरंपार बताई गई है.  तुलसी दल को पूजा की थाली और प्रसाद में भी जगह दी जाती है. इसका होना शुभ का सूचक है.

2-हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व 
हिंदू धर्म में माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां पर लक्ष्मी माता के साथ भगवान विष्णु की भी पूर्ण कृपा दृष्टि बनी रहती है.

3-सूरज ढलने के बाद न तोड़ें पत्ते
याद रखें तुलसी के पत्तों को कभी सूरज ढलने के बाद हाथ भी नहीं लगाना चाहिए तोड़ना तो बहुत दूर की बात है. वहीं अशुद्ध होने पर भी तुलसी के पेड़, घरौंदे या गमले से दूर ही रहना चाहिए. तुलसी माता को साफ सफाई बहुत पसंद है. अगर ठीक से इनका ध्यान न रखा जाए तो वो सूख जाती हैं. 

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4-तुलसी के पौधे को इस दिन तोड़ने की मनाही
इस बात का ध्यान रखें की तुलसी के पत्ते को मंगलवार और रविवार को नहीं तोड़ने चाहिए.

5-गंगाजल में क्यों मिलाते हैं तुलसी!
भगवान का प्रसाद तुलसी दल के बिना चरणामृत अधूरा माना जाता है. भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण को भी तुलसी अति प्रिय है, इसलिए भोग में, पंचामृत में भी गंगाजल और तुलसी दल मिलाया जाता है. यही वजह है कि तुलसी दल को चरणामृत में जरूर डालते हैं. 

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