Kedarnath Tragedy: तारीख.....16 जून 2013 आज से 9 साल पहले तबाही का वो मंजर दुनिया ने देखा, जिसने पूरे हिंदुस्तान को हिलाकर रख दिया था. केदारनाथ की जमीन पर आसमान से आफत बरसी. तबाही की तस्वीरें कुछ यूं नजर आईं मानों हिमालय के जलजले ने पूरे हिन्दुस्तान को हिला कर रख दिया हो.
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Kedarnath Tragedy: हर साल हजारों-लाखों श्रद्धालु शिव भक्ति में लीन उत्तराखंड के चारधाम यात्रा पर पहुंचते हैं, जिसमें बाबा केदारनाथ के धाम में भक्तों की भीड़ सबसे ज्यादा उमड़ती है. इस साल की तरह ही आज से 9 साल पहले भी केदारधाम श्रद्धालुओं से कुछ ऐसे ही गुलजार था. जब कुदरत ने तबाही का खौफनाक मंजर दिखाया था. आसमानी आफत ने केदार घाटी समेत पूरे उत्तराखंड में बर्बादी के वो निशान छोड़े, जिन्हें अब तक नहीं मिटाया जा सका. हालांकि 9 सालों के प्रयासों के बाद केदारनाथ धाम में फिर रौनक लौट आई है.
तारीख.....16 जून 2013 आज से 9 साल पहले तबाही का वो मंजर दुनिया ने देखा, जिसने पूरे हिंदुस्तान को हिलाकर रख दिया था. केदारनाथ की जमीन पर आसमान से आफत बरसी. तबाही की तस्वीरें कुछ यूं नजर आईं मानों हिमालय के जलजले ने पूरे हिन्दुस्तान को हिला कर रख दिया हो. मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे. गाड़ियां कागज की कश्तियों की तरह बह रही थीं. साल 2013 के जून महीने में आए कुदरत के इस कहर ने उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों पर बसे भोलेनाथ के दरबार में भयानक तबाही मचाई थी.
भीमशिला ने की केदारनाथ मंदिर की रक्षा
इस तबाही में करीब 4 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई. इस आपदा के चलते केदारनाथ धाम में सब कुछ तबाह हो गया. कुछ बचा, तो वह था भोलेनाथ के मंदिर का ढांचा. शायद महाप्रलय मंदिर सहित सब कुछ निगल लेता अगर एक चमत्कार नहीं होता. उस रात चोराबाड़ी ताल से निकला पानी मानो सब कुछ तबाह करने पर आमादा था. सैलाब के साथ मंदिर के पीछे कई बड़े-छोटे पत्थर आ रहे थे. इसी तबाही के बीच एक विशालकाय चट्टान किसी चमत्कार की तरह मंदिर के पीछे आकर टिक गई. जिसने केदारनाथ मंदिर को बचा लिया. चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया. उस आपदा ने सब कुछ बर्बाद कर दिया, लेकिन यह चट्टान जस की तस रही. इस विशाल पत्थर को बाद में 'भीमशिला' नाम दिया गया. भीम शिला की चौड़ाई करीब-करीब मंदिर की चौड़ाई के बराबर ही है, जो अपने आप में एक अद्भुत बात है.
तबाही के कई महीनों बाद तक नहीं हुई पूजा
तबाही के बाद कई महीनों तक मंदिर में कोई पूजा नहीं हुई, लेकिन जब तबाही का मंजर छटा और टीमें केदारनाथ मंदिर के अंदर पहुंचीं तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं. शिवलिंग पर बेलपत्र मौजूद था. शिवलिंग का आधा भाग मलबे में इस तरह दबा था कि मानो शिव समाधि में लीन बैठे हों.
आज का केदार
2013 में हुई त्रासदी ने भोले के भक्तों में भय भर दिया था, लेकिन मोदी राज में केदारनाथ धाम के कायापलट का एक्शन प्लान तैयार हुआ. आज नौ साल बाद केदरानाथ धाम का ना सिर्फ स्वरूप बदला बल्कि वो हाईटेक भी बन गया है. 6 मई 2022 को इस बार जब केदारधाम के कपाट खुले, तो भोलेनाथ की नई नगरी का रंग देखते ही बन रहा था. श्रद्धालुओं का ऐसा सैलाब जो आपदा से पहले भी कभी नहीं देखा गया था. केदरानाथ की नई तस्वीरें देखकर हर कोई हैरान था. इस साल केदारनाथ भक्तों को नये रूप में नजर आए. आइये जानते हैं पीएम मोदी ने केदारनाथ में जो प्लान बनाया था उसके तहत 9 साल बाद धाम कितना बदला है....
केदारनाथ में RCC से नई सड़कें बनीं
पुरानी सड़कों का चौड़ीकरण हुआ.
रास्ते में नए शिविरों का निर्माण हुआ.
मंदाकिनी और सरस्वती नदी के पास रिटेनिंग वॉल बनाई गई.
नदियों पर घाटों का निर्माण हुआ.
नदी के तटों को लाइटिंग के साथ बेहतर किया गया.
केदारधाम को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया.
मंदिर का चबूतरा 1500 से 4125 वर्गमीटर तक बढ़ाया गया.
केदरानाथ धाम में आदि शंकराचार्य के भव्य समाधिस्थल का भी निर्माण किया गया.
केदार का कायकल्प
केदारनाथ पिछले 9 साल में काफी बदल चुका है. नया रास्ता, घाट, हेल्थ कैंप और केदार पुरी की सुरक्षा के लिए उपाय. केदारनाथ में एक बदलाव है जो सबसे ज्यादा दिखाई देता है, वो है मंदिर तक पहुंचने का रास्ता. जहां पहले दुकानों की कतार थीं, वहां आज पक्का रास्ता है. उन दुकानों को हटा दिया गया है. अब बाबा केदार का मंदिर दूर से नजर आने लगा है. हालांकि केदार के कायाकल्प की कहानी अभी खत्म नहीं हुई. केदारघाटी के जीर्णोद्धार का काम अभी भी काफी बाकी है. केदारघाटी को स्मार्ट शहर में तब्दील करने का पीएम मोदी का सपना 2023 तक पूरा होने की संभावना है.
रिकॉर्ड संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
इस साल केदारनाथ में अब तक 7 लाख 14 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो कि एक रिकॉर्ड यात्रा है. इस रिकॉर्ड यात्रा से सरकार के साथ वहां के छोटे-बड़े सभी व्यवसायियों के चेहरे खिले हुए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मानते हैं कि अच्छे इंतजाम और बढ़िया वातावरण की वजह से इस बार रिकॉर्ड तोड़ यात्री आये हैं.
2023 तक केदार में और क्या होगा?
केदारनाथ के पुजारियों के लिए थ्री इन वन आवास बनाए जा रहे हैं. 73 पुजारियों के आवासों में 13 आवासों के निर्माण का कार्य चल रहा है. केदारधाम में 24 घंटे बिजली-पानी का इंतजाम होगा. इस क्रम में पहाड़ के पानी से बिजली बनाने की योजना पर भी काम जारी है. आने वाले कुछ सालों में केदारधाम की कायापलट का मिशन पूरा हो जाएगा. फिर महादेव की महिमा और ऊंचे मुकाम तक पहुंच जाएगी. आज केदारधाम भले की कितना भी बदल चुका हो, लेकिन त्रासदी के जख्म चारों ओर नजर आते हैं. बता दें कि इस आपदा में सेना ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया था. जबकि पुलिस ने 30 हजार लोगों की जान बचाई थी. वहीं, पुनर्निर्माण पर करीब 2300 करोड़ खर्च हुए. आइए एक नजर में समझते हैं त्रासदी के जख्म कितने गहरे थे.
आपदा में 4 हजार 400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हुए थे.
सर्च ऑपरेशन में 55 नरकंकाल खोजे गए थे.
करीब 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया.
2141 मकान पूरी तरह से नष्ट हो गए थे.
जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई थी.
100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए थे.
9 नेशल व 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हुए थे.
2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा था.
86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए थे.
991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.
11 हजार से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.
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