जब Lalu Prasad Yadav ने बनाई अलग पार्टी और 'सत्‍ता' भी सरकने नहीं दी
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जब Lalu Prasad Yadav ने बनाई अलग पार्टी और 'सत्‍ता' भी सरकने नहीं दी

लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) ने अपने दम पर 1997 में दिल्ली में आरजेडी का गठन किया. अपनी दम पर पार्टी को खड़ा किया और अगले ही विधान सभा चुनाव में कमाल कर दिया. 

 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के गठन को 25 वर्ष पूरे हो गए. पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) ने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिल्ली से वर्चुअली संबोधित किया. बिहार की इस पार्टी की स्थापना भी दिल्ली में ही की गई थी. 

जब दिल्ली में लालू ने जुटाई भीड़

RJD का गठन 5 जुलाई 1997 को दिल्ली में किया गया था. स्थापना के वक्त लालू प्रसाद यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह समेत 17 लोक सभा सांसद और 8 राज्य सभा सांसदों की मौजूदगी में बड़ी तादाद में RJD कार्यकर्ता व समर्थक जुटे थे. स्थापना के साथ ही लालू प्रसाद यादव को पार्टी का अध्यक्ष चुना और आज भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर हैं. 

चारा घोटाले में नाम आने के बाद चुनी अलग राह

1990 में लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) CM बने फिर 1995 के विधान सभा चुनाव में भी जनता दल को जीत मिली और लालू यादव CM बने लेकिन 1997 में जब लालू यादव का नाम चारा घोटाले में आया और उनके नाम अरेस्ट वॉरेंट जारी हो गया तो जनता दल में ही उनके खिलाफ आवाज उठने लगी. यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री पद थे, वही गुजराल जिन्हें 1992 में लालू यादव की मदद से राज्य सभा की सदस्यता मिली थी लेकिन गुजराल भी सीबीआई से लालू को नहीं बचा पाए. 

लालू ने ऐसे बनाया राबड़ी देवी को CM

लालू जनता दल की कमान अपने पास ही चाहते थे लालू. 4 जुलाई की शाम पीएम इंद्र कुमार गुजराल ने दिल्ली में अपने आवास पर नेताओं की बैठक बुलाई. लालू भी इसमें शामिल हुए. लालू यादव ने कहा कि वो सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे लेकिन जनता दल का अध्यक्ष उन्हें ही रहने दिया जाए. सीबीआई की गिरफ्त में लालू घिर चुके थे लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई. इसका नतीजा ये हुआ कि अगले ही दिन 5 जुलाई को लालू यादव ने अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बना ली. इसके बाद लालू यादव ने एक और दांव चलते हुए 25 जुलाई को अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया. इस तरह लालू ने अपनी अलग पार्टी भी खड़ी कर ली और सत्ता भी बचा ली.

जब पहली बार लालू की पार्टी की आईं सबसे ज्यादा सीट

लालू यादव ने अपने दम पर 1997 में जिस आरजेडी को खड़ा किया था, उसने अगले ही विधान सभा चुनाव में कमाल कर दिया. उस वक्त झारखंड बिहार का ही हिस्सा था और वहां 324 विधान सभा सीट हुआ करती थीं. 2000 के बिहार विधान सभा चुनाव में आरजेडी ने 324 में से 124 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी 67, कांग्रेस 23, जेडीयू 21 और समता पार्टी 34 सीटों पर सिमट गई. इस बार लालू की आरजेडी को बहुमत नहीं मिला. 

BJP के साथ के बावजूद नीतीश से छीनी कुर्सी

बिहार में नीतीश कुमार को बीजेपी ने समर्थन दिया, कुछ दूसरे दल भी साथ आ गए. नीतीश कुमार सीएम बने, लेकिन विधान सभा में बहुमत साबित नहीं कर पाये. 7 दिन में सरकार गिर गई. लालू यादव ने जबरदस्त मैनेजमेंट कर सत्ता अपने हाथ ले ली और 2005 तक फिर राबड़ी देवी मुख्यमंत्री रहीं. 

इस बार बैठना पड़ा विपक्ष में

दूसरी तरफ लालू यादव ने 2004 के लोक सभा चुनाव में जीत दर्ज की और केंद्र की यूपीए सरकार में वो रेल मंत्री बन गए. 2005 में विधान सभा चुनाव हुआ, आरजेडी के सामने समता पार्टी-लोक शक्ति पार्टी व अन्य के विलय से अक्टूबर 2003 में बनी जनता दल यूनाइटेड थी. आरजेडी महज 54 सीटों पर सिमट गई जबकि जेडीयू 88 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी को 55 सीट मिलीं नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने फिर आरजेडी विपक्ष की भूमिका में रही. 

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आज भी है बिहार में सबसे बड़ी पार्टी

इस बीच 2015 में आरजेडी ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और गठबंधन की सरकार बनाई लेकिन नीतीश ने जल्द ही आरजेडी से नाता तोड़ दिया और फिर बीजेपी को साथ लेकर सरकार बना ली. फिर 2020 के चुनाव में भी आरजेडी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. 2010 से ही लालू यादव ने तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को राजनीति में उतार दिया. आज तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है बिहार में.

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