Kolhan Politics: झारखंड विधानसभा चुनाव की चर्चा हर तरफ है. झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहा है. कोल्हान क्षेत्र में झामुमो का निर्विवाद चेहरा माने जाने वाले चंपई ने झामुमो से बगावत करते हुए दावा किया था कि हेमंत सोरेन की कुर्सी का रास्ता साफ करने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था.
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Saraikela Champai Soren Jharkhand: झारखंड में विधानसभा चुनावों को लेकर कांटे की टक्कर है. झारखंड राज्य में 24 जिले हैं. जहां लोकसभा की 14 और विधानसभा की 81 सीटें हैं. यहां बात अपने राजनीतिक गुरू शिबू सोरेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर झारखंड (Jharkhand) के जन्म की लड़ाई लड़ने वाले 'कोल्हान टाइगर' यानी चंपई सोरेन की जिन्होंने आत्म सम्मान का हवाला और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पार्टी में अपने लोगों का अपमान होने की बात कहकर पाला बदल लिया था.
68 साल की उम्र में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई न सिर्फ कोल्हान बल्कि पूरे राज्य में अपनी स्वीकार्यता का दम भरते हुए चुनाव प्रचार में दिन रात एक किए हैं. उनके विरोधियों का मानना है कि उम्र के इस पड़ाव में वो सुरक्षित राजनीतिक भविष्य की चाहत में बीजेपी में शामिल हुए हैं. वहीं उनके खांटी समर्थकों का कहना है कि बीजेपी में शामिल होने के अलावा झारखंड में उनकी अपनी अलग सियासी पहचान है. इसलिए वो राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए नहीं बल्कि आम जन की आवाज़ और मजबूत करने के लिए सियासी मैदान में डटे हैं.
3 जुलाई से 15 अक्टूबर के बीच बहुत कुछ बदल गया
कोल्हान रीजन में झामुमो का निर्विवाद चेहरा माने जाने वाले चंपई ने झामुमो से बगावत करते हुए दावा किया कि उन्हें हेमंत सोरेन की कुर्सी का रास्ता साफ करने के लिए मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया. इसी साल 2 फरवरी को ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई को सीएम बनाया गया था. विधानसभा चुनाव में इस बार चंपई उस बीजेपी के लिए लड़ रहे हैं जिसको कोल्हान से दूर रखने के लिए उन्होंने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां बात सिर्फ कोल्हान के दायरे में आने वाली 14 विधानसभा सीटों की नहीं है जिनमें से नौ एसटी और एससी के लिए आरक्षित हैं. चंपई आज राज्य की हर सीट से हेमंत सोरेन और उनके गठबंधन के उम्मीदवारों को हराना चाहते हैं, इसके लिए वो कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
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क्या सेफ गेम खेल रहे चंपई?
चंपई 30 अगस्त, 2024 को बीजेपी में शामिल हुए थे. अब वह न सिर्फ 'सरायकेला' (Saraikela) का गढ़ बचाने के लिए लड़ रहे हैं, जहां से वो 1991 के बाद से छह बार विधायक रह चुके हैं. बल्कि वो बीजेपी आलाकमान को यह दिखाने के लिए भी लड़ रहे हैं कि कोल्हान की सभी 14 सीटों पर उनका प्रभाव पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिला सकता है. सरायकेला समेत कोल्हान की बाकी 13 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी. चंपई की व्यक्तिगत बात करें तो 2019 में सरायकेला सीट उन्होंने 15,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी.
टीओआई के मुताबिक, चंपई का कहना है कि झारखंड की जनता के आशीर्वाद से वो 30 साल से ज्यादा समय से राजनीति में हैं. उनका जन-जन से सीधा कनेक्ट है, इसलिए वह अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में नहीं सोंच रहे, बल्कि बीजेपी को जीत दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ताकि आदिवासी भाई-बहनों की भलाई के लिए योगदान दे सकें.