पहले जहां दिल की बीमारी और कार्डियक अरेस्ट को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, वहीं अब 30-40 की उम्र के युवाओं में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस खतरे को लेकर हर कोई टेंशन में है.
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भारत में हाल के वर्षों में कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है और इसका शिकार ज्यादातर युवा हो रहे हैं. पहले जहां दिल की बीमारी और कार्डियक अरेस्ट को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, वहीं अब 30-40 की उम्र के युवाओं में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में कई कंपनियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस नए खतरे पर चिंता जाहिर की है.
कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों के पीछे सबसे बड़ा कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल, तनाव और अधिक काम करने की आदतें हैं. विशेषकर नौकरी पेशा युवाओं में काम का दबाव और करियर बनाने की होड़ के कारण उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है. तेज रफ्तार जिंदगी, अनियमित खानपान और डिजिटल दुनिया में लंबे समय तक जुड़े रहने के कारण तनाव और चिंता का लेवल बढ़ता जा रहा है, जो दिल की बीमारी का एक बड़ा कारण बन रहा है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, गैर-संक्रामक बीमारियां (NCDs) जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज, स्ट्रोक और कैंसर, दुनिया भर में 74% मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. भारत में दिल की बीमारी के मामले खासकर 55 साल से कम उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट बताती है कि कार्डियक अरेस्ट के लगभग 40-50% मामलों में मरीजों की उम्र 55 से कम है.
तनाव को कम करना है महत्वपूर्ण
एक्सपर्ट्स का कहना है कि युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सबसे पहले उन्हें अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करना होगा. समय पर खाने, पर्याप्त नींद लेने, नियमित व्यायाम और ध्यान जैसे एक्टिविटी को अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए. इसके अलावा, लंबे समय तक तनाव से बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य.
हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
युवाओं को चाहिए कि वे अपनी सेहत के प्रति सजग रहें और लाइफस्टाइल में सुधार करें. नियमित रूप से व्यायाम करें, बैलेंस डाइट लें, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं और काम के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक आराम पर भी ध्यान दें. यदि आप तनाव और खराब लाइफस्टाइल से बचे रहेंगे, तो दिल की बीमारी और कार्डियक अरेस्ट के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.