Trending news: हाल ही में एक घटना ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी है. सिंगापुर के एक चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) परमिंदर सिंह ने एक भारतीय बॉस के बारे में एक किस्सा साझा किया, जिसमें एक काबिल मार्केटिंग उम्मीदवार को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी गई क्योंकि वह गिटार बजाता था और मैराथन दौड़ता था.
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Indian boss rejected candidate: पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वर्क लाइफ बैलेंस और काम के घंटों को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कुछ लोग जहां हफ्ते में ज्यादा से ज्यादा घंटे काम करने की बात कर रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि इससे प्रोडक्टिविटी पर बुरा असर पड़ता है. इसी बीच, अब एक बॉस की हरकत ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है.
दरअसल, सिंगापुर के एक चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) परमिंदर सिंह ने एक भारतीय बॉस के बारे में एक किस्सा साझा किया, जिसमें एक काबिल मार्केटिंग उम्मीदवार को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी गई क्योंकि वह गिटार बजाता था और मैराथन दौड़ता था.
Once a candidate applied to my team for a marketing role in India. Besides being a capable marketer, his CV mentioned that he runs marathons and plays guitar. My boss didn’t let me hire him, saying, "Yeh aadmi yeh sab kuchh karta hai to kaam kab karega?" I thought such managers…
— Parminder Singh (@parrysingh) January 10, 2025
गिटार बजाने और मैराथन दौड़ने वाले कैंडिडेट को किया रिजेक्ट
परमिंदर सिंह ने बताया कि यह घटना तब की है जब वह भारत में एक मार्केटिंग टीम का हिस्सा थे. एक उम्मीदवार ने मार्केटिंग की भूमिका के लिए आवेदन किया था और उसने अपने सीवी में उल्लेख किया था कि वह गिटार बजाता है और मैराथन दौड़ता है. बॉस ने इस उम्मीदवार को यह कहकर खारिज कर दिया कि "यह आदमी सब कुछ करता है, तो काम कब करेगा?"
कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए
इस घटना ने सोशल मीडिया पर वर्क-लाइफ बैलेंस और काम के घंटों को लेकर बहस छेड़ दी है. कई लोगों ने इस मानसिकता की आलोचना की है और कहा है कि एक अच्छा इंसान अक्सर ज्यादा रचनात्मकता और कौशल लेकर आता है. वहीं, एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन के बयान ने भी बहस को और बढ़ावा दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए. इस बयान ने वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर और भी अधिक चर्चा को जन्म दिया है.
गूगल के पॉलिसी में लिखा था ये
परमिंदर सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि वे उस उम्मीदवार को नौकरी नहीं दे पाए. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब वह गूगल में थे तो वहां एक अलिखित पॉलिसी थी कि अगर आप ओलंपिक्स में अच्छा करते हैं तो आप गूगल ऑफिस में जाकर जॉब हासिल कर सकते थे. इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या काम के बाहर की गतिविधियां और हॉबीज किसी व्यक्ति की पेशेवर क्षमता को प्रभावित करती हैं. कई लोगों का मानना है कि हॉबीज और व्यक्तिगत रुचियां व्यक्ति की रचनात्मकता और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं जो अंततः उनकी कार्यक्षमता को भी सुधारती हैं.