Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पीपीपी नेताओं की एक बैठक में इमरान को लेकर कहा कि, अब न्यायपालिका को यह देखना चाहिए कि क्या यह सत्ता का भूखा व्यक्ति कानून से ऊपर है. उन्होंने यह हमला इमरान खान के सेना, पुलिस और न्यायपालिका पर दिए बयान पर किया.
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Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान का सियासी पारा एक बार फिर गर्म है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा सरकार के बीच चल रही टकराहट रुकने का नाम नहीं ले रही. अब इस लड़ाई में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी कूद गए हैं. मंगलवार को आसिफ अली जरदारी ने इमरान खान पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि सत्ता के लिए उनकी लालसा उन्हें पागल कर रही है. अब न्यायपालिका को यह देखना चाहिए कि क्या यह सत्ता का भूखा व्यक्ति कानून से ऊपर है. उनकी यह टिप्पणी पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी में एक रैली के दौरान इमरान खान द्वारा पुलिस, न्यायपालिका और अन्य राज्य संस्थानों पर सवाल उठाने और उन्हें धमकाने के बाद आई है. इस बयान को लेकर इमरान खान के खिलाफ आतंकवाद का मुकदमा भी दायर हो चुका है और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. उनके बेहद खास शहबान गिल की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है.
अपनी पार्टी के नेताओं संग हुई बैठक में कही बात
कराची में पाकिस्तान पिपल्स पार्टी (पीपीपी) मंत्रियों और नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान जरदारी ने पाकिस्तान की सेना और न्यायपालिका को निशाना बनाने के लिए इमरान खान की आलोचना की. उन्होंने कहा, "यह आदमी हर दिन हमारी सेना की आलोचना कर रहा है, जबकि उसी सेना के अधिकारी और सैनिक दो प्रांतों में आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं." उन्होंने कहा, इमरान खान सेना और पुलिस के बाद अब न्यायाधीशों को भी निशाना बना रहे हैं. उन्होंने इस्लामाबाद में एक महिला न्यायाधीश जेबा चौधरी पिछले दिनों धमकी दी. इस मामले में उनके खिलाफ आतंकवाद का केस दर्ज हुआ लेकिन एक दिन बाद ही इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने इमरान खान को 25 अगस्त तक सुरक्षात्मक जमानत दे दी. वह सभी को उसे गिरफ्तार करने की चुनौती दे रहे हैं."
इमरान की हरकतें सहन करने योग्य नहीं
जरदारी ने आगे कहा, "एक तरफ जब हम आर्थिक और प्राकृतिक संकट से गुजर रहे हैं और सभी प्रांत हमारी ओर देख रहे हैं, लेकिन एक व्यक्ति है जिसकी सत्ता की लालसा उसे हर गुजरते दिन के साथ पागल कर रही है. यह सहन करने योग्य नहीं है. उन्होंने न्यायपालिका से यह देखने का आग्रह किया कि क्या यह आदमी कानून से ऊपर है."
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