मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के कन्नूर जिले में एक ऐसा मंदिर हैं जहां पर लोग अपने कुत्तों को लेकर आते हैं और उसका नामकरण करते हैं. इस बारे में जानकर हजारों लोग सोच में पड़ गए, लेकिन यह प्रथा बिल्कुल सही है.
कन्नूर के तालीपरम्बा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर वलपत्तनम नदी है, जिसके किनारे पर एक मंदिर है. यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर का नाम मुथप्पन मंदिर (Muthappan Temple) हैं. ऐसा कहा जाता है कि यहां पर लोग दूर-दराज इलाके से अपने पालतू कुत्तों को लेकर आते हैं और फिर यहां पर नामकरण किया जाता है.
जानकारी के मुताबिक, यहां तिरुवप्पन वेल्लट्टम परंपरा के दौरान कुत्तों को नामकरण होता है. इस बारे में अधिक जानकारी यहां के मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने दी. उन्होंने कहा कि यहां पर कुत्तों के नामकरण समारोह आयोजित होता है. इसके लिए न तो कोई फीस लगती है और न ही रसीद की जरूरत पड़ती है.
तिरुवप्पन वेल्लट्टम परंपरा के वक्त कोई भी इस मंदिर में अपने पालतू कुत्ते को ला सकता है और यहां पर उनका आशीर्वाद ग्रहण कर सकता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां पर वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को काफी भीड़ देखने को मिलती है. यहां के पुजारी मुथप्पन तेय्यम कहलाते हैं और नामकरण के दौरान वह कुत्ते के कान में कुछ फुसफुसाते हैं और फिर आखिर में उसे प्रसाद खिलाते हैं. ऐसा करने के बाद तेय्यम पालतू जानवर को उनके मालिक को सौंप देते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुथप्पन गरीबों और मेहनतकश जनता के भगवान माने जाते हैं. भगवान मुथप्पन को ताड़ी और भुनी हुई मछली चढ़ाई जाती है. लोग उन्हें इसी का भोग लगाते हैं. सबसे खास बात तो यह है कि कुत्तों को मुथप्पन का साथी माना जाता है. यही वजह है कि इस मंदिर में कुत्ते भी पूजनीय हैं. स्थानीय लोग भगवान मुथप्पन को धर्मनिरपेक्ष देवता मानते हैं.
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