Jupiter Planet in Astrology: ज्योतिष में गुरु ग्रह को बहुत शुभ माना गया है. साथ ही वे देवताओं के गुरु हैं. देवगुरु बृहस्पति यदि कुंडली में नीच के हों तो अशुभ फल देते हैं लेकिन गुरु की ज्यादा शुभता भी ढेरों समस्याएं दे सकती है.
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Guru Grah in Astrology: देवगुरु बृहस्पति सकारात्मक ग्रह हैं, इनका नाम सुनते ही शुभता प्राप्त होती है. ज्ञान प्राप्त होने का भाव उत्पन्न हो जाता है. गुरु ग्रह का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन को सही निर्णय लेने की क्षमता यानी जीवन का सही विकास कर सद्गति की ओर ले जाना है. लेकिन शुभता होने के साथ साथ यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ग्रहों में सबसे भारी एवं बड़े ग्रह भी गुरु ही है. गुरु जहां बैठ जाते हैं वहां पर एक दबाव बनाते हैं यानी भार रखते हैं. इसी लिए ज्योतिष स्पष्ट कहा गया है कि जिस स्थान पर गुरु बैठते हैं वहां के जीव की हानि करते हैं.
उच्च के गुरु भी दे सकते हैं नकारात्मक फल
कुंडली में बृहस्पति यदि उच्च, स्वग्रही एवं मजबूत होकर अत्यधिक शुभता के साथ बैठे हो तो भी वह नकारात्मक फल दे सकते हैं, क्योंकि ग्रहों में बृहस्पति सबसे भारी ग्रह हैं और यह जिस स्थान पर बैठ जाएं वहां की जिम्मेदारी बढ़ा देते हैं. जिम्मेदारी यदि खुद से ली जाए तो उन्हें सदा के लिए निभा सकते हैं, यदि यह मन मुताबिक न मिले तो इसे पूरा कर पाना किसी के लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है.
बना देते हैं नास्तिक और अहंकारी
गुरु कुंडली में जिस भाव में बैठते हैं उस स्थान के जीव पर भार डालते हैं जैसे पत्नी के स्थान पर बैठेंगे तो पत्नी को पीड़ित करते हैं. संतान के स्थान में बैठेंगे तो संतान को तनाव दे सकते हैं. यदि लग्न पर बैठ जाएं तो ज्ञान का दंभ भी उत्पन्न कर सकते हैं. वक्री गुरु लग्न में हो तो कई बार व्यक्ति पूजा पाठ वाला ना होकर नास्तिक यानी ईश्वर को न मानने वाला हो सकता है.
फिर जीवन के उत्तरार्ध में जाकर उसकी ईश्वर पर आस्था उत्पन्न होती है. गुरु का अत्यधिक भार में होना स्थिति को बहुत ही विचित्र बना देता है. इससे गृहस्थ जीवन को निभाना जहां एक ओर भार लगने लगता है तो वहीं सामने वाले की उपेक्षा आपको पूजा पाठ से भी वंचित कर देती है. इन लोगों को घर से बाहर बहुत इज्जत मिलती है लेकिन घर में वह सम्मान नहीं मिलता है जिसके कारण वह हमेशा कुंठित बने रहते हैं. जिन लोगों की कुंडली के चौथे या सातवें स्थान में बृहस्पति बैठे हों उन्हें घर से बाहर किसी मंदिर में खूब पाठ करना चाहिए. इससे उन्हें लाभ होगा.
अपने परिवार का ही कर सकते हैं नुकसान
यदि देवगुरु बृहस्पति कुंडली के तृतीय भाव में बैठ जाए तो ऐसा व्यक्ति दूसरों की जिम्मेदारियां भी उठाने लग जाता है. साथ ही मन में त्याग की भावना उसे कभी पनपने नहीं देती है. ऐसा व्यक्ति दूसरों की भलाई करने के लिए अपने परिवार को भी हानि पहुंचा देता है. यह व्यक्ति को गरीबी में भी ढंकेल सकता है.
अगर कुंडली में गुरु का प्रभाव आपको आर्थिक तंगी दे रहा हो तो धार्मिक स्थान पर दान करें. धार्मिक पुस्तकों का दान करें. बच्चों को पढ़ाई में मदद करें, इससे गुरु की कृपा प्राप्त होती है. इस उपाय का फल एक से दो सप्ताह के भीतर ही मिलने लगता है. ध्यान रखें आप दूसरों को ज्ञान देना बंद कर दें और अपने ज्ञान को अपने लिए सुरक्षित रखें. बृहस्पति पिता, पति और पुत्र का सुख दिलाते हैं. गुरु से शुभ फल पाने के लिए गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति की पूजा करनी चाहिए.