Maharabharat Story in Hindi: कहते हैं कि महाभारत का युद्ध टालने के लिए पांडवों ने दुर्योधन से पांच गांव मांगे थे लेकिन उसने वह भी देने से इनकार कर दिया था. अब उन्हीं में से एक गांव की खुदाई में रहस्यमय टीला मिला है, जिसे देखकर एक्सपर्ट हैरान हैं.
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Baghpat and its relation with Mahabharata War: कुरुक्षेत्र, हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ. महाभारत काल के इन तीन नगरों का जिक्र आपने कहीं न कहीं पढ़ा, सुना या सिनेमा,सीरियल्स में देखा होगा. इन द्वापर युग के तीनों नगरों का अस्तित्व आज के भारत में भी पुरातात्विक सबूतों के साथ साबित हो चुका है. लेकिन उस काल के बाकी के नगर? आज की स्पेशल रिपोर्ट में चर्चा महाभारत के उस व्याघ्रपथ नगर की, जहां महाभारत युद्ध से पहले पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया गया. अब इसी व्याघ्रपत्थ नगर, जिसे आज जिला बागपत कहा जाता है, यहां एक रहस्यमयी टीले पर सबकी निगाह टिकी हुई है. क्योंकि यहां से जो शुरुआती सुराग मिल रहे हैं, वो भारत के इतिहास में एक बड़ी पुरातात्विक खोज की तरफ इशारा कर रही है.
कब हुआ था महाभारत का युद्ध?
महाभारत की कथाओं में जो सबसे अधिक प्रत्यक्ष प्रतीत होता है, वो है उस महायुद्ध के महाकाय योद्धा. योद्धाओं के विशाकलाय रथ और भारी भरकम अस्त्र- शस्त्र. ये महज किसी गाथा का हिस्सा नहीं, बल्कि उस महायुद्ध की जो कालणना दुनिया भर में स्थापित हमारे गणितज्ञ आर्यभट्ट ने की, उसके मुताबिक वो समय था 3102 ईसा पूर्व का. यानी कि आज से कुछ 5077 साल पहले का.
3102 ईसा पूर्व हुए महाभारत से बागपत के टीले का कैसा कनेक्शन?
बागपत जिले का जो टीला अभी सुर्खियों में है, वो छपरौली जिले कुर्डी गांव में हैं. महाभारत काल में इस इलाके में बाघों की संख्या ज्यादा होने की वजह से इसे व्याघ्रपथ कहा जाता था. महाभारत जैसे युद्ध को टालने के लिए पांडवों ने अपनी जीविका के लिए जिन पांच गांवों की मांग थी, उसमें ये व्याघ्रथ भी था. वो 5 गांव थे.
पांडवों ने कौन से पांच गांव मांगे थे?
1. इंद्रप्रस्थ
आज ये दिल्ली का ये इलाका है. महाभारत काल में इसे श्रीपत और खांडवप्रस्थ कहा जाता था. हस्तिनापुर से निकाले जाने के बाद पांडवों ने यहां अपनी राजधानी बनाई थी.
2- पानीपत
महाभारत काल में इसे पांडुप्रस्थ कहा जाता था. महाभारत का युद्धस्थल कुरुक्षेत्र इसी इलाके में आता है.
3- सोनीपत
महाभारत काल में इसे स्वर्णप्रस्थ कहा जाता था. पांडवों का बसाया ये नगर बेहद खूबसूरत माना जाता था.
4. तिलपत
महाभारत काल में इसे तिलप्रस्थ कहा जाता था. आज ये फरीदाबाद जिले में यमुना किनारे एक कस्बा है.
5. बागपत
महाभारत काल में बागपत वन्य प्रधान क्षेत्र था. यहां कौरवों ने पांडवों के लिए लाक्षागृह बनाया था.
उस लाक्षागृह के सबूत बागपत जिले के बरनावा गांव के कब्रिस्तान में मिले थे. इस पर कब्जे को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच 1970 के दशक से ही सिविल केस कोर्ट में चल रहा था. यहां मिले पुरातात्विक सबूतों के आधार पर कोर्ट ने कहा कि ये जगह महाभारत काल से जुड़ी हुई है.
2018 में बागपत का बरनावा गांव मिला लाक्षागृह, अब कुर्डी गांव में क्या?
इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए पुरात्व विशेषज्ञों की टीम कुर्डी गांव में कैंप डाल चुकी है. स्थानीय जानकार और महाभारत काल के अवशेषों पर रिसर्च करने वाले ये मानते हैं, कि कुर्डी गांव में कुछ बड़ा मिलने वाला है.
बागपत जिले में एक इलाका है सिनौली. यहां से 20 साल पहले महाभारत काल से जुड़ी पुरातात्विक महत्व की सबसे उल्लेखनीय चीजें मिली थी. तब से लेकर आज तक बागपत के कई गांवों में अलग अलग तरह की प्राचीन चीजें मिलने का दावा किया जा रहा है. जैसा कि हमारे एक्सपर्ट ने बताया, ये पूरा जिला पांडवों के निवास स्थान से जुड़ा माना है, इसलिए इस तरह के दावे किए जाते हैं. ऐसा ही दावा कुर्डी जैसे गांव के लोग कई साल से कर रहे थे. इन्होंने अपनी खुदाई में मिली कुछ चीजें ऐसी सहेज कर रखीं, जिसने पुरातत्व विशेषज्ञों को भी चौंकाया.
टीले की चोटी पर शिव मंदिर है बेहद खास
बागपत के कुर्डी गांव का ये टीला इसलिए भी जुताई, खुदाई से संरक्षित है, क्योंकि इस टीले की चोटी पर एक शिव मंदिर है. गांव वाले इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ते हुए पूरे टीले को पवित्र मानते हैं. इसलिए यहां जो भी चीजें मिलती है, उसे पुरातात्विक महत्व का बताते हुए सहेज लेते हैं. पुरातत्व विभाग के आने से पहले ही कुर्डी गांव के लोगों ने यहां से मिली कई रहस्यमयी चीजें सहेज कर रखी हैं. इनमें प्राचीन मटके 2. बड़ी ईंटे. 3. बीड्स. 4. ब्लैक स्टोन. जैसे दुर्लभ वस्तुएं शामिल हैं.
बागपत जिले का सिनौली गांव कुर्डी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है, जहां महाभारत काल से जुड़े रथ, तलवारें और दूसरी अहम चीजें मिली थी. तो क्या कुर्डी टीले में सिनौली से भी बड़ी पुरातात्विक सबूत मिलेंगे? कुर्डी टीले के नीचे महाभारतकाल का कैसा रहस्य दबा है? कुर्डी टीले में कुछ तो ऐसा है, जिसने पुरात्व विशेषज्ञों को हैरान किया है. हालांकि यहां जारी खुदाई को लेकर पुरातत्व विशेषज्ञ फिलहाल गोपनीयता बरत रहे हैं क्योंकि यहां के इलाके पहले भी खुदाई और कब्जे को लेकर विवाद उठ चुके हैं. इसलिए यहां से मिल रहे शुरुआती सुरागों और पुरात्विक महत्व की चीजों को गुप्त रखा जा रहा है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)