Why Prajapati Daksha cursed Chandradev: वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है जो मनुष्य के मन की स्थिरता और मन के विचलित होने के लिए जिम्मेदार होता है.
Trending Photos
Mythological Story Of Moon: वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन का कारक माना जाता है. हिंदू धर्म में कई ऐसे पर्व त्योहार हैं जो चंद्रमा की पूजा के बिना पूर्ण नहीं माने जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि माता के स्वास्थ्य का कारक चंद्रमा ही है. चंद्रमा मजबूत होगा तो माता की सेहत अच्छी होगी. चंद्रमा को ग्रह और देव दोनों माना जाता है. वहीं, चंद्रमा को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं. एक कथा तो राजा दक्ष और उनकी 27 कन्याओं से जुड़ी है. इस प्रतलित कथा में चंद्र देवता को श्राप भी दिया जाता है. आइए इस कथा को विस्तार से जानें.
27 कन्याओं से हुआ चंद्रमा का विवाह
पुराणों की मानें तो दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से हुआ. ये 27 कन्या हैं-
रोहिणी, रेवती, श्रावण, सर्विष्ठ, सताभिषक
प्रोष्ठपदस, अश्वयुज, कृतिका, मृगशिरा
आद्रा, पुनर्वसु, मेघा, स्वाति, चित्रा
फाल्गुनी, हस्ता, राधा, विशाखा, अनुराधा
ज्येष्ठा, मूला, सुन्निता, पुष्य अश्व्लेशा
अषाढ़, अभिजीत और भरणी
चंद्रमा को क्यों मिला श्राप
कथा है कि राजा दक्ष की 27 पुत्रियां थीं जिनका चंद्रमा के साथ विवाह हुआ. राजा दक्ष की शर्त थी कि अपनी सभी 27 पत्नियों के साथ चंद्रमा का व्यवहार एक समान होगा लेकिन चंद्रमा का रोहिणी से अधिक प्रेम था. इससे चंद्रमा की बाकि की पत्नियां दुखी रहती थी. ऐसे में अपनी कन्याओं का दुख राजा दक्ष को देखा न गया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया. राजा दक्ष के श्राप से चंद्रमा को क्षय रोग हो गया. चंद्रमा का तेज धीरे-धीरे कम होता गया. इसी श्राप के बाद कृष्ण पक्ष शुरू हुआ. हालांकि श्राप के कारण चंद्रमा का अंत होने लगा. अपने अंत को रोकने के लिए चंद्रमा ब्रह्मा जी के पास सहायता के लिए गए जहां उन्हें शिव जी उपासना करने की सलाह दी गई. इसके बाद चंद्रमा की आराधना से शिवजी इतने प्रसन्न हुए कि उन्हें अपने जटाओं में स्थान दिया जिससे उनका तेज लौट आया. इस तरह से शुक्ल पक्ष शुरू हुआ.
और पढ़ें- Garud Puran: पैसे लूटकर मौज करने वाले लुटेरों को मिलती है भयानक सजा, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण
और पढ़ें- Vivah Ke Upay: लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हो रही शादी, ये अचूक उपाय बनाएंगे शीघ्र विवाह के योग