Shukra Remedies: शुक्र को मजबूत करता है शुक्रवार के दिन किया ये काम, धन-संपत्ति और सुखों में होती है वृद्धि
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Shukra Remedies: शुक्र को मजबूत करता है शुक्रवार के दिन किया ये काम, धन-संपत्ति और सुखों में होती है वृद्धि

Shukra Stotra Path: अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थिति में है, तो ज्योतिष शास्त्र में इसे मजबूत करने के कई उपायों के बारे में बताया गया है. शु्क्रवार के दिन शुक्र स्त्रोत का पाठ करने से लाभ होगा. 

 

फाइल फोटो

Weak Shukra In Kundali: शुक्रवार का दिन जहां धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है. वहीं, यह शुक्र ग्रह का भी प्रतीक है. कहते हैं कि शुक्र व्यक्ति को भौतिक सुख और सुविधाएं प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है. ज्योतिषीयों का कहना है कि व्यक्ति की कुंडली में शुक्र के मजबूत होने पर व्यक्ति को धन, संपत्ति, सुख और सुविधाओं की प्राप्ति होती है. वहीं, शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति को इन चीजों का अभाव रहता है. 

हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसके जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं रहें. और इन इच्छाओं की पूर्ति के लिए कई तरह के उपाय बी करता है. ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रबल बनाने के कुछ  उपायों के बारे में बताया गया है. इनमें से एक उपाय है शुक्र स्त्रोत का पाठ. शुक्र को मजबूत करने के लिए हर शुक्रवार शुक्र के बीज मंत्र का जाप करें. अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, तो हर शुक्रवार शुक्र स्त्रोत का पाठ करने से लाभ होगा. 

इस विधि से करें शुक्र स्त्रोत का पाठ 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र स्त्रोत का पाठ करने से पहले स्नान करें और उसके बाद सफेद  रंग के वस्त्र धारण करें. इसके बाद मां लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करें और उनकी पूजा करें. सफेद आसन पर  बैठकर शु्क्र स्त्रोत का पाठ करें. बता दें कि ये पाठ संस्कृत में लिखा है, इसलिए पढ़ते समय शब्दों का उच्चारण सही से करें. शुद्धता और विधिपूर्वक अगर इस पाठ का जाप किया जाए, तो जल्द लाभ होता है. 

शुक्र स्तोत्र
 

नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित।
वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम:।।

देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग:।
परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर:।।

प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:।
नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे।।

तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर:।
यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह।।

अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे।
त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान।।

विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन।
ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन।।

बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम:।
भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम।।

जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम:।
नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि।।

नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने।
स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन:।।

य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम।
पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम।।

राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम।
भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै:।।

अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम।
रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात।।

यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा।
प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत:।।

सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि:।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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