Garuda Purana: मृत्यु के 24 घंटे बाद क्यों यमलोक से लौट आती है आत्मा, पिंडदान नहीं करने पर क्या होता है हश्र, जानें
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Garuda Purana: मृत्यु के 24 घंटे बाद क्यों यमलोक से लौट आती है आत्मा, पिंडदान नहीं करने पर क्या होता है हश्र, जानें

Garuda Purana Gyan in hindi: गरुड़ पुराण में मृत्यु के बारे में कई रहस्य बताए गए हैं. इस पुराण की मानें तो पृथ्वी पर मौत के बाद आत्माएं यमलोक में जाती हैं और फिर 24 घंटे में लोटकर पृथ्वी पर आ जाती हैं. आइए जानें इस पूरी प्रक्रिया के पीछे का रहस्य क्या है.

Garuda purana

Garuda purana mystery: जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो रही होती है तो वो अपने परिवार जन के मोह में होता है. उस वक्त मनुष्य अपने प्राणों के मोह में बहुत अधिक होता है. अपने सगे-संबंन्धियों को देखकर वह संसार को छोड़कर जाने को तैयार नहीं होता है, इसी मोह में रहते हुए उसकी मृत्यु हो जाती है (What happens after 24 hours after death). वहीं जब मनुष्य की आत्मा को शरीर से खींच लिया जाता है तब भी आत्मा मोह में ही होती. हालांकि आत्मा को खींचकर यमदूत कर्मों का हिसाब करने यमलोक यमराज के पास लेकर जाते हैं. 

24 घंटे बीतते ही दोबारा यमलोक से धरती पर की यात्रा 
गरुड़ पुराण के अनुसार, यमदूत जब आत्मा को लेकर जाते हैं तो उसके बाद 24 घंटे बीतते ही दोबारा यमलोक से धरती पर लेकर आते हैं. पृथ्वी लोक पर आने के बाद फिर से यमराज व्यक्ति के कर्मों का हिसाब किताब करते हैं. वहीं इसी दौरान आत्मा को 24 घंटे के लिए पृथ्वी पर विचरण के लिए भेजते हैं. आत्मा को उसके कर्मों के बारे में याद दिलाने और अगले जीवन के लिए तैयार होने के लिए आत्मा को पृथ्वी पर भेजा जाता है. इस 24 घंटे के बाद यमलोक की यात्रा पर आत्मा निकल जाती है यह प्रक्रिया 13 दिनों तक चलती है.

आत्मा की शांति के लिए सारे संस्कार 
गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा को पृथ्वी पर लौटने दिया जाता है जिससे कि वह अपने परिजनों को देख सके और उनके आसपास रह सके. इस दौरान आत्मा अपने होने का एहसास करवाती है लेकिन इसमें वो सफल नहीं हो पाती. मृतक की आत्मा चाहकर भी शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती. वहीं दूसरी ओर परिवार वाले 13 दिन तक मृत आत्मा की शांति के लिए सारे संस्कार शुरू कर चुके होते हैं.

आत्मा की यमलोक यात्रा 
इन 13 दिनों के पहले आत्‍मा इतनी कमजोर होती है कि वो यमलोक की यात्रा नहीं कर पाती है. अपने आगे की यात्रा करने के लिए 13 दिन तक परिवार जन अंतिम क्रियाओं द्वारा उसे ताकत देते हैं. ग्यारहवें और बारहवें दिन उसका पिंडदान करने और तेरहवें दिन तक होने वाले जरूरी संस्कारों से आत्‍मा को बल मिलता है जिससे उसे सूक्ष्म शरीर प्राप्त होता है. इससे आत्मा यमलोक की यात्रा कर पाती है. यमलोक की यात्रा पूरी करने में आत्मा को करीब एक साल का समय लगता है. 

एक साल तक की शक्ति 
मान्यता है कि पिंडदान से आत्‍मा को एक साल तक की शक्ति मिलती है, जिन आत्‍माओं का पिंडदान नहीं किया जाता उसे यमदूत 13वें दिन जबरदस्ती घसीटकर यमलोक ले जाते हैं जिससे आत्मा को बहुत कष्ट पहुंचता है. गरुड़ पुराण के मुताबिक तेरहवीं के दिन मृतक के लिए जो भोज कर्ज लेकर करवाया जाता है उस मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती है. 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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