Science News: खगोलविदों ने एक विशालकाय रेडियो गैलेक्सी (GRG) की खोज की है, जिसके प्लाज्मा जेट्स हमारी आकाशगंगा मिल्की वे से 32 गुना बड़े हैं. दक्षिण अफ्रीका के मीरकैट टेलीस्कोप ने इस विशाल संरचना को देखा है, जिसे 'इन्काथाज़ो' नाम दिया गया है.
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Science News in Hindi: एस्ट्रोनॉमर्स ने हाल ही में एक विशाल रेडियो गैलेक्सी की खोज की है जिसकी लंबाई हमारी Milky Way के आकार से 32 गुना अधिक है. इस गैलेक्सी का नाम Inkathazo रखा गया है. यह 3.3 मिलियन प्रकाश वर्ष लंबी है. इसे दक्षिण अफ्रीका के MeerKAT टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया. Inkathazo का मतलब Xhosa और Zulu भाषाओं में 'समस्या' या 'मुसीबत' होता है. यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इसके अद्वितीय भौतिक गुण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बने हुए हैं.
विज्ञान को सामान्य आकार की लाखों रेडियो आकाशगंगाएं ज्ञात हैं. लेकिन 2020 तक केवल 800 विशाल रेडियो आकाशगंगाएं ही पाई गई थीं. इन्हें पहली बार खोजे जाने के लगभग 50 वर्ष बाद ये अस्तित्व में आई हैं. उन्हें दुर्लभ माना जाता था. हालांकि, दक्षिण अफ्रीका के 'मीरकैट' सहित रेडियो दूरबीनों की एक नयी पीढ़ी ने इस विचार को पूरी तरह बदल दिया है: पिछले पांच वर्षों में लगभग 11,000 विशालकाय तारामंडल खोजे गए हैं.
दक्षिण अफ्रीकी रेडियो दूरबीन मीरकैट की नयी विशाल रेडियो आकाशगंगा की खोज असाधारण है. इस ब्रह्मांडीय विशालकाय आकाशगंगा के प्लाज़्मा जेट एक छोर से दूसरे छोर तक 33 लाख प्रकाश वर्ष तक फैले हैं - जो हमारी आकाशगंगा 'मिल्की वे' के आकार से 32 गुना अधिक है.
मीरकैट दूरबीन दक्षिण अफ्रीका के कारू क्षेत्र में स्थित है. यह 64 रेडियो डिशों से बना है तथा इसका संचालन और प्रबंधन दक्षिण अफ्रीकी रेडियो खगोल विज्ञान वेधशाला द्वारा किया जाता है. यह स्क्वायर किलोमीटर ऐरे का पूर्ववर्ती है, जो 2028 के आसपास जब वैज्ञानिक परिचालन शुरू करेगा, तो यह दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन होगी. मीरकैट 2018 में पहली बार काम शुरू करने के बाद से ही दक्षिणी आकाश के कुछ छिपे हुए खजानों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
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कैसे बनते हैं प्लाज्मा जेट?
शायद आपको पता न हो, लेकिन इस समय हमारे सौरमंडल से बहुत दूर विशाल ब्रह्मांडीय घटनाएं घट रही हैं. इन ब्रह्मांडीय घटनाओं में अतिविशाल ब्लैक होल प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन रहस्यमयी पिंडों का द्रव्यमान सूर्य से लाखों या करोड़ों गुना अधिक हो सकता है और ये इतने घने होते हैं कि वे अपने चारों ओर की अन्य अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को विकृत कर देते हैं.
जहां तक खगोलशास्त्रियों को पता है, सभी आकाशगंगाओं के केंद्र में एक अतिविशाल ब्लैक होल मौजूद होता है. कुछ आकाशगंगाओं में विशाल ब्लैक होल के चारों ओर बड़ी मात्रा में अंतरतारकीय गैस घूम रही है तथा क्षितिज से परे, अनिवार्यतः ब्लैक होल की ओर खिंच रही है. इस प्रक्रिया से भारी मात्रा में घर्षण और ऊर्जा पैदा होती है, जो उस 'रेव' का कारण बन सकती है - विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में विभिन्न रंगों और आवृत्तियों पर भारी मात्रा में प्रकाश उत्सर्जित करना.
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कुछ मामलों में, ब्लैक होल अंतरिक्ष में लाखों प्रकाशवर्ष दूर प्लाज्मा की धाराएं भी उगलेगा. प्लाज्मा गैस इतनी गर्म होती है कि यह अनिवार्य रूप से प्रकाश की गति के करीब चलने वाले इलेक्ट्रॉनों का सूप है. ये प्लाज्मा जेट रेडियो आवृत्तियों पर चमकते हैं, इसलिए इन्हें रेडियो दूरबीन से देखा जा सकता है और इन्हें उपयुक्त रूप से रेडियो आकाशगंगा नाम दिया गया है.
खगोल विज्ञान पॉडकास्ट 'द कॉस्मिक सवाना' के एक हालिया एपिसोड में, उनके स्वरूप की तुलना चिपचिपे पदार्थ (आकाशगंगा) की एक गेंद से बाहर निकलती हुई दो चमकती छड़ियों (प्लाज्मा जेट) से की गई थी. खगोलविदों का अनुमान है कि समय बीतने के साथ प्लाज्मा जेट बाहर की ओर फैलते रहते हैं, और अंततः इतने बड़े हो जाते हैं कि वे विशाल रेडियो आकाशगंगा बन जाते हैं.
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ये निष्कर्ष मौजूदा मॉडलों को चुनौती देते हैं और सुझाव देते हैं कि हम अभी तक इन चरम आकाशगंगाओं में चल रहे जटिल प्लाज्मा भौतिकी को नहीं समझ पाए हैं. (द कन्वरसेशन/भाषा इनपुट)