सूर्य का 1 चक्कर लगाने में इस ग्रह को लगता है 248 साल का वक्त, अंधेरे के देवता से कनेक्शन
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सूर्य का 1 चक्कर लगाने में इस ग्रह को लगता है 248 साल का वक्त, अंधेरे के देवता से कनेक्शन

हर दिन कुछ नया करने और कुछ अनोखा खोजने के इच्छुक लोगों की दुनिया में कमी नहीं है. 18 फरवरी 1930 को ऐसे ही एक जिज्ञासु अमेरिकी वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबा ने एक बौने ग्रह की खोज की थी. पहले इसे ग्रह मान लिया गया था, लेकिन बाद में इसे ग्रहों के परिवार से बाहर कर दिया गया.

सूर्य का 1 चक्कर लगाने में इस ग्रह को लगता है 248 साल का वक्त, अंधेरे के देवता से कनेक्शन

Pluto Gochar 2025: हर दिन कुछ नया करने और कुछ अनोखा खोजने के इच्छुक लोगों की दुनिया में कमी नहीं है. 18 फरवरी 1930 को ऐसे ही एक जिज्ञासु अमेरिकी वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबा ने एक बौने ग्रह की खोज की थी. पहले इसे ग्रह मान लिया गया था, लेकिन बाद में इसे ग्रहों के परिवार से बाहर कर दिया गया. इस ग्रह का नाम रखने के लिए सुझाव मांगे गए तो 11वीं में पढ़ने वाली एक लड़की ने इसे प्लूटो नाम दिया. उसका कहना था कि रोम में अंधेरे के देवता को प्लूटो कहते हैं और इस ग्रह पर भी हमेशा अंधेरा रहता है, इसलिए इसका नाम प्लूटो रखा जाए. प्लूटो को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 248 साल लग जाते हैं.

प्लूटो को जानिए

प्लूटो और उसके सबसे बड़े चंद्रमा, चारोन के निर्माण को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि इन दोनों का मिलन एक 'चुम्बन और कब्जा' (kiss and capture) प्रक्रिया के जरिए हुआ था. इस हाइपोथिसिस के अनुसार, लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले, प्लूटो और चारोन के बीच एक टक्कर हुई. इस टक्कर की वजह से वे अस्थायी रूप से एक साथ जुड़े और फिर अलग हो गए और अपनी वर्तमान कक्षाओं में एडजस्ट हो गए. यह स्टडी Nature Geoscience जर्नल में छपी थी.

सूर्य की रोशनी को प्लूटो तक पहुंचने में लगभग पांच घंटे का समय लगता है. आकार में यह हमारे चंद्रमा का एक तिहाई है. कभी-कभी यह वरुण (नैपच्यून) की कक्षा के भीतर पहुंच जाता है. यह नाइट्रोजन की बर्फ से ढका रहता है. प्लूटो सौर मंडल के अवशेष मलबे से बना है. प्लूटो को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है.

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