Sanjeev Sanyal: यह तब हुआ जब DOGE ने रविवार को अपनी पोस्ट में लिखा कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे को जिन चीजों पर खर्च किया जाना था उनमें से कुछ को रद्द कर दिया गया है. इसमें भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए निर्धारित 21 मिलियन डॉलर की कथित फंडिंग भी शामिल थी.
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DOGE funding India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में DOGE डिपार्टमेंट को हेड कर रहे एलन मस्क ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं. इसी कड़ी में DOGE ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए निर्धारित फंडिंग को रद्द कर रही है. इस कदम के बाद भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. इसी कड़ी में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए जो 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए, वह आखिर किसे मिले?
मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला
असल में सान्याल ने इस मुद्दे पर संदेह जताते हुए USAID को "मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला" करार दिया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मुझे यह जानने की बहुत इच्छा है कि भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर किसे दिए गए? साथ ही बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन डॉलर और नेपाल में ‘वित्तीय संघवाद’ सुधारने के लिए 29 मिलियन डॉलर किसे गए? USAID मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है.
21 मिलियन डॉलर की फंडिंग?
यह तब हुआ जब DOGE ने रविवार को अपनी पोस्ट में लिखा कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे को जिन चीजों पर खर्च किया जाना था उनमें से कुछ को रद्द कर दिया गया है. इसमें भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए निर्धारित 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी शामिल थी. इसके अलावा कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग’ के तहत मोल्दोवा के समावेशी और भागीदारी वाली राजनीतिक प्रक्रिया के लिए 22 मिलियन डॉलर का भी जिक्र किया गया.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी किया दावे का खंडन
इस बीच भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) एसवाई कुरैशी ने भी इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि अमेरिका ने भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए किसी प्रकार की फंडिंग की थी. उन्होंने कहा कि जब मैं चुनाव आयोग का प्रमुख था, उस दौरान ECI ने 2012 में IFES इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स के साथ एक समझौता किया था, लेकिन यह समझौता सिर्फ प्रशिक्षण से जुड़ा था न कि किसी फंडिंग से. इसमें किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता या वित्तीय वादा शामिल नहीं था.
Would love to find out who received the US$21mn spent to improve "voter turnout in India" and the US$29mn to "strengthening political landscape in Bangladesh"; not to mention the US$29mn spend to improve "fiscal federalism" in Nepal. USAID is the biggest scam in human history. pic.twitter.com/ccVHcnzWSj
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) February 16, 2025
बीजेपी का कड़ा रुख
DOGE के इस कदम पर बीजेपी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी. पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि भारत के चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 21 मिलियन डॉलर की यह राशि किसे दी गई? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को इसका कोई लाभ नहीं मिला होगा. यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में द्विपक्षीय वार्ता हुई थी.