Delhi Earthquake: 4 के झटके में ही कांप गए दिल्लीवाले, 8 का भूकंप आ जाए तो ऊंची बिल्डिंग का क्या होगा?
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Delhi Earthquake: 4 के झटके में ही कांप गए दिल्लीवाले, 8 का भूकंप आ जाए तो ऊंची बिल्डिंग का क्या होगा?

Earthquake in Delhi NCR Today: दिल्ली में 4 की तीव्रता के भूकंप ने लोगों को खौफ से भर दिया है. पहले से ही कहा जाता रहा है कि दिल्ली-एनसीआर का बड़ा हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है. ऐसे में सवाल यह है कि 7-8 तीव्रता का भूकंप आ गया तो क्या होगा?

Delhi Earthquake: 4 के झटके में ही कांप गए दिल्लीवाले, 8 का भूकंप आ जाए तो ऊंची बिल्डिंग का क्या होगा?

Earthquake News Delhi: तड़के 5.36 बजे दिल्लीवाले गहरी नींद में थे और अचानक झटके से हिल गए. बेड पर ही बैठ गए. परीक्षा के लिए जल्दी उठे बच्चे भी डर गए. कांच के दरवाजे कांपने लगे. दिल्ली-NCR के लोगों ने हाल के वर्षों में ऐसा भूकंप महसूस नहीं किया था? ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग प्रार्थना करने लगे थे. उनके लिए भागकर सेफ जगह पहुंचने जैसा कोई विकल्प भी नहीं बचता है. 17 फरवरी की सुबह आए भूकंप का केंद्र 5 किमी गहराई में धौला कुआं के झील पार्क क्षेत्र में था. वहां कुछ लोगों को भूकंप के बाद तेज आवाज भी सुनाई दी. अगर आपने महसूस किया होगा तो आसपास पक्षियों और कुत्तों का शोर बढ़ गया था. वैसे भी कहते हैं कि जानवरों को भूकंप जरा पहले महसूस हो जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4 थी. सुबह से ही लोगों के मन में सवाल है कि 4 की तीव्रता में सभी डर गए, अगर तीव्रता ज्यादा होती तो क्या होता?

कितना बड़ा भूकंप झेल पाएंगे हम?

पहले यह जान लीजिए कि गहराई कम होने और भूकंप का केंद्र राजधानी दिल्ली में होने के कारण NCR में इसे ज्यादा महसूस किया गया. वैसे हरियाणा, यूपी और बिहार में भी लोगों ने इसे महसूस किया है. अब सबसे बड़ा सवाल और चिंता यह है कि हम कितनी तीव्रता का भूकंप झेल सकते हैं. अमेरिकी एजेंसी (USGS) का साफ तौर पर कहना है कि ऐसी कोई लिमिट सेट नहीं की जा सकती. यह भूकंप के केंद्र से दूरी, उस मिट्टी जहां आप हैं, इमारत निर्माण की गुणवत्ता जैसे कारकों पर निर्भर करता है. हालांकि एक सर्वमान्य धारणा यह जरूर बन गई है कि 4 या 5 से ऊपर तीव्रता का भूकंप आता है तो नुकसान होना शुरू हो जाता है.

6 तीव्रता से ज्यादा भूकंप आएगा तो क्या होगा?

अगर मैग्नीट्यूड ज्यादा है तो भूकंप से नुकसान ज्यादा होगा. 1985 में मेक्सिको सिटी में 8 की तीव्रता का भूकंप आया था और पूरा शहर बर्बाद हो गया था. 2017 में वहां 7.1 तीव्रता का भूकंप आया. आपके मन में अगला सवाल आना लाजिमी है कि magnitude या तीव्रता का नंबर क्या बताता है? दरअसल, मैग्नीट्यूड का नंबर किसी भूकंप में रिलीज हुई कुल एनर्जी को प्रदर्शित करता है. यह रिलीज एनर्जी इस बात से तय होती है कि अंडरग्राउंड चट्टान या प्लेट कितना खिसकी है और कितनी दूर गई है. ऐसे में 6 की तीव्रता का मतलब जमीन के नीचे काफी हलचल हुई है.

8 की तीव्रता का भूकंप आया तो?

दरअसल, मैग्नीट्यूड में 1 तीव्रता बढ़ने का मतलब होता है कि रिलीज हुई सीस्मिक एनर्जी करीब 32 गुना बढ़ गई. इसका मतलब है कि 7 की तीव्रता का भूकंप 6 की तुलना में 32 गुना ज्यादा ऊर्जा रिलीज करता है. इसी तरह 8 मैग्नीट्यूड के भूकंप में 6 की तुलना में 1000 गुना ज्यादा ऊर्जा रिलीज होती है. एक्सपर्ट लूस जोन्स के मुताबिक लेकिन यह एनर्जी एक बड़े क्षेत्र में और लंबे समय तक रिलीज होती है. अमेरिका के साउथ कैरोलिना में एक बार 8.2 तीव्रता का भूकंप आया था.

पढ़ें: क्या खट-खट की आवाज ही है भूकंप का आफ्टरशॉक?

क्या भूकंप से डरने की जरूरत है?

भूकंप को रोका नहीं जा सकता इसलिए बचाव ही एक उपाय है. आमतौर पर 6 से ऊपर की तीव्रता का भूकंप तबाही लाता है. इससे कच्चे और काफी पुराने मकान और कमजोर गुणवत्ता वाली ऊंची इमारतें 6 से 8 की तीव्रता के भूकंप में बर्बाद हो सकती हैं. घनी बस्तियों में नुकसान ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि वहां आबादी ज्यादा होती है. अगर आप ऐसी इमारत में हैं जो ज्यादा पुरानी नहीं है और उसे बनाने में भूकंपरोधी उपायों का इस्तेमाल किया गया है तो ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है.

9 या 10 तीव्रता का मतलब

ईश्वर से प्रार्थना कीजिए कि वो दिन न आए क्योंकि 9 को एक्सपर्ट Violent और 10 को Extreme भूकंप की श्रेणी में रखते हैं. इसमें ज्यादातर लकड़ी, फ्रेम से बने घर जमींदोज हो जाएंगे. दूसरी इमारतों की नींव भी दरक सकती है. इस पैमाने पर देखें तो 1 और 2 की तीव्रता का भूकंप ज्यादा लोगों को महसूस भी नहीं होता है.

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