दोनों हाथों से बैसाखी संभाले आगे बढ़ा वो नायक, राष्ट्रपति खुद आगे चलकर आईं, बजती रहीं तालियां
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दोनों हाथों से बैसाखी संभाले आगे बढ़ा वो नायक, राष्ट्रपति खुद आगे चलकर आईं, बजती रहीं तालियां

भारत के पहले पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर को अर्जुन लाइफटाइम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 1972 में पैरालम्पिक गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए यह अवॉर्ड दिया.

दोनों हाथों से बैसाखी संभाले आगे बढ़ा वो नायक, राष्ट्रपति खुद आगे चलकर आईं, बजती रहीं तालियां

Murlikant Petkar: भारत को पैरालंपिक गेम्स में सबसे पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले मुरलीकांत पेटकर को अर्जुन लाइफटाइम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए समारोह का सबसे भावुक पल था, जब 80 साल के मुरलीकांत पेटकर दोनों हाथों से बैसाखी संभाले अर्जुन लाइफटाइम अवॉर्ड लेने के लिए आगे बढ़े तो खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आगे चलकर आईं और उन्हें सम्मानित किया. पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर है.

नहीं रुकी तालियां

अवॉर्ड लेने पेटकर के लिए तालियां बजने का सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक वह वापिस अपनी सीट पर आकर नहीं बैठ गए. यह समारोह का सबसे इमोशनल पल भी था. उन्हें इस अवॉर्ड के लिए 52 सालों का लंबा इंतजार करना पड़ा. इस युद्ध नायक को 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में कमर के नीचे गोली लगी थी. वह मूल रूप से मुक्केबाज थे, लेकिन बाद में पैरा तैराक बन गए. उन्होंने 1972 पैरालम्पिक में गोल्ड मेडल जीता था.

1972 में रचा था इतिहास

मुरलीकांत पेटकर के लिए लिये तालियां बजाने वालों में अभिनेता कार्तिक आर्यन भी थे, जिन्होंने उन पर बनी फिल्म 'चंदू चैम्पियन' में मुख्य भूमिका निभाई थी. खेलमंत्री मनसुख मांडविया, संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू , खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी भी इस मौके पर मौजूद थीं. मुरलीकांत राजाराम पेटकर ने 1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग में पैरालंपिक खेलों में इतिहास रच दिया था, जब उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर फ्रीस्टाइल 3 प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने के लिए विश्व रिकॉर्ड में दो बार सुधार किया था.

अवॉर्ड मिलने पर यूं जाहिर की खुशी

अवॉर्ड मिलने की खुशी जाहिर करते हुए मुरलीकांत पेटकर ने कहा, 'मैं इस प्रतिष्ठित अर्जुन लाइफटाइम पुरस्कार को पाकर बेहद अभिभूत हूं. यह सम्मान सिर्फ मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि उन असाधारण लोगों के विश्वास और सामूहिक प्रयासों का प्रतीक है. मैं साजिद नाडियाडवाला जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने मेरी कहानी पर विश्वास किया और अपनी पूरी ताकत और संसाधन लगाकर इसे फिल्म 'चंदू चैंपियन' के जरिए बड़े पर्दे पर उतारा.' 

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