नौकरी जाने के बाद बना डाली सिलाई मशीन, कौन थे Elias Howe जिन्होंने बदल दिया कपड़ा बनाने का तरीका
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नौकरी जाने के बाद बना डाली सिलाई मशीन, कौन थे Elias Howe जिन्होंने बदल दिया कपड़ा बनाने का तरीका

Who is Elias Howe: सिलाई मशीन का इस्तेमाल कपड़ा सिलने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिलाई मशीन की शुरुआत किसने की थी. इसका क्रेडिट अमेरिका के Elias Howe को जाता है, जिन्होंने सिलाई मशीन बनाई.

नौकरी जाने के बाद बना डाली सिलाई मशीन, कौन थे Elias Howe जिन्होंने बदल दिया कपड़ा बनाने का तरीका

Sewing Machine: आज के समय में टेलर की दुकानों से लेकर ज्यादातर घरों में सिलाई मशीन का इस्तेमाल किया जाता है. जब भी कोई कपड़ा फट जाता है तो मम्मी, दादी या नानी घर पर ही सिलाई मशीन की मदद से उसे सिल देती हैं. सिलाई मशीनों ने कपड़े सिलने के तरीके में बहुत बड़ा बदलाव ला दिया. सिलाई मशीन का इस्तेमाल कपड़ा सिलने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिलाई मशीन की शुरुआत किसने की थी. इसका क्रेडिट अमेरिका के Elias Howe को जाता है, जिन्होंने सिलाई मशीन बनाई.

Elias Howe ने बदल दिया कपड़ा बनाने का तरीका
एलियास होवे का जन्म 9 जुलाई, 1819 को मैसाचुसेट्स में हुआ था. 16 साल की उम्र में वे लोवेल की एक टेक्सटाइल फैक्टरी में काम सीखने के लिए गए, लेकिन 1837 में अमेरिका में आए आर्थिक संकट के चलते उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी. Elias Howe ने सिलाई मशीन का ऐसा डिजाइन बनाया जिसने कपड़ों को बनाने का पूरा तरीका बदल कर रख दिया. इससे पहले जो मशीनें थीं वो बहुत अच्छी नहीं थीं. होवे की मशीन में एक खास सिलाई होती थी जिसे 'लॉकस्टिच' कहते हैं. यह मजबूत और साफ सुथरी होती थी. उनकी मशीन पहले की मशीनों से कहीं ज्यादा तेज भी थी. 

1846 में बनाई सिलाई मशीन
हालांकि, सिलाई मशीन का विचार सबसे पहले होवे के दिमाग में ही नहीं आया था, लेकिन उन्होंने ही सबसे पहले ऐसी मशीन बनाई जो असल में काम आती थी. उनकी मशीन 1846 में बनी और यह हाथ से सिलाई करने के बजाए कहीं ज्यादा तेजी और मजबूत कपड़े सिल सकती थी. होवे की मशीन की वजह से कारखानों में कपड़े बहुत जल्दी और कम दाम में बनने लगे. इससे पहले जो कपड़े दर्जी बनाते थे वो हाथ से सिलने की वजह से काफी महंगे होते थे. सस्ते कपड़े मिलने से आम लोगों के लिए भी कपड़े खरीदना आसान हो गया.

होवे की मशीन के आने से कपड़े बनाने का काम बहुत तेजी से होने लगा. इससे कारखानों में कम समय में ज्यादा कपड़े बनने लगे, जिससे कपड़े सस्ते भी हुए. इससे आम लोगों के लिए भी अच्छे कपड़े खरीदना आसान हो गया. साथ ही कपड़े बनाने का काम इतना मुश्किल नहीं रह गया, जिससे इस काम में लगे लोगों को राहत मिली.

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