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Scientists restore cellular function: मौत अटल है और हर किसी को जन्म लेने के बाद एक दिन मरना ही होता है. लेकिन कभी अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे बेहतर इलाज के जरिए जरूर बचाया जा सकता है. ऑर्गन ट्रांसप्लांट से कई बार मरीज की जान बचाई जा सकती है लेकिन वक्त पर अंग का मिल पाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन का इंतजार कर रहे मरीजों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगी है. अमेरिकी वैज्ञानिक (US scientists) एक ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करने में कामयाब रहे हैं, जो सुअरों की मौत के बाद उनके शरीर में मौजूद कोशिकाओं (Restored cell function) और अंगों की फिर से एक्टिव करने में सक्षम है.
इंसान के पास बढ़ेंगे ट्रांसप्लांट के ऑप्शन
‘जर्नल नेचर’ में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इस टेक्नोलॉजी के तहत रिसर्चर्स ने कुछ सुअरों की मौत के एक घंटे बाद उनके अंगों और टिश्यू में एक खास लिक्विड का संचार किया, जिसे कोशिकाओं की रक्षा के लिए तैयार किया गया था. इससे सुअरों के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन और कोशिका संबंधी अन्य क्रियाओं को बहाल करने में सफलता मिली. येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स ने कहा कि यह टेक्नोलॉजी न सिर्फ सर्जरी के दौरान मानव अंगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी, बल्कि ट्रांसप्लांट के लिए तैयार अंगों की संख्या भी बढ़ाएगी.
रिसर्च टीम में शामिल डेविड आंद्रेजेविक ने कहा, 'सभी कोशिकाएं तुरंत दम नहीं तोड़तीं, उनकी मौत का एक प्रोसेस होता है, जिसके बीच में आप दखल दे सकते हैं, कोशिकाओं को दम तोड़ने से रोक सकते हैं और कुछ क्रियाओं को बहाल कर सकते हैं.' यह रिसर्च येल स्कूल ऑफ मेडिसिन की अगुवाई वाली एक पुराने प्रोजेक्ट पर आधारित है, जिसके तहत ‘ब्रेनएक्स’ नामक की एक टेक्नोलॉजी के जरिये एक मृत सुअर के मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन और कोशिका संबंधी कुछ क्रियाओं को बहाल करना मुमकिन हो पाया था.
ऑर्गनएक्स टेक्नोलॉजी से मिली सफलता
नई स्टडी में रिसर्चर्स ने ‘ब्रेनएक्स’ के एक संशोधित संस्करण ‘ऑर्गनएक्स’(OrganEx) के जरिये सुअर के विभिन्न अंगों की क्रिया बहाल करने में कामयाबी हासिल कर ली है. मौत के बाद किसी का भी दिल काम करना बंद कर देता है और उसके अंग सूज जाते हैं. लेकिन इस प्रोसेस से ब्लड सर्कुलेशन बहाल किया गया था साथ ही मृत सूअरों की कोशिकाओं और टिश्यू फिर से एक्टिव दिखाई दिए. उनके दिल की धड़कने और कई अंगों की कोशिकाएं फिर से काम करने लगी थीं. रिसर्च टीम यह देखकर हैरान थी कि दिल और किडनी के अलावा सूअरों के सिर और गर्दन में भी मूवमेंट देखने को मिला. टीम ने करीब 6 घंटे तक इसकी स्टडी की थी.
(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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