DNA Analysis: शिंजो आबे मर्डर में इस पड़ोसी देश पर घूम रही शक की सुईं? कहीं इस वजह से तो नहीं की गई हत्या
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DNA Analysis: शिंजो आबे मर्डर में इस पड़ोसी देश पर घूम रही शक की सुईं? कहीं इस वजह से तो नहीं की गई हत्या

Shinzo Abe Murder Reasons: जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे (Shinzo Abe) मर्डर केस में पड़ोस के एक शक्तिशाली देश पर शक की सुईं घूम रही हैं. आबे ने अपने शासनकाल में उस देश के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए थे. कहीं उन्हीं कदमों की वजहों से तो ये हत्या नहीं की गई. 

DNA Analysis: शिंजो आबे मर्डर में इस पड़ोसी देश पर घूम रही शक की सुईं? कहीं इस वजह से तो नहीं की गई हत्या

Shinzo Abe Murder Reasons: पूरी दुनिया एक ही सवाल पूछ रही है कि शिंजो आबे (Shinzo Abe) की हत्या का क्या कारण हो सकता है?. इस सवाल की जड़ तक जाने के लिए पहले आपको ये समझना होगा कि शिंजो आबे जापान ही नहीं दुनिया के एक बहुत बड़े नेता थे. शिंजो आबे जापान की जिस Liberal Democratic Party के नेता थे, वो वहां की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक पार्टी है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जापान में इसी पार्टी का शासन रहा है. आप इसे ऐसे समझिए कि पिछले 67 वर्षों में 60 साल तक जापान में इसी पार्टी की सरकार रही.

वृहद राजनीतिक परिवार से थे आबे

शिंजो आबे (Shinzo Abe) की पारिवारिक और राजनीतिक जड़ें भी शुरुआत से इस पार्टी में रही हैं. शिंजो आबे का जन्म जापान (Japan) के एक बहुत बड़े राजनीतिक परिवार में हुआ था. वर्ष 1957 से 1960 तक शिंजो आबे के नाना, जिनका नाम था नोबु-सुके किशी, वो जापान के प्रधानमंत्री रहे थे. शिंजो आबे के दादा, कान आबे भी विश्व युद्ध के दौरान जापान के सांसद थे. इसके अलावा उनके पिता शिंतारो आबे भी कई दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे और जापान की सरकार में विदेश मंत्री भी बने.

हालांकि राजनीति में जो सफलता शिंजो आबे (Shinzo Abe) को मिली, वो अभूतपूर्व थी. Shinzo Abe जापान (Japan) में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे. वो पहले वर्ष 2006 से 2007 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद उन्होंने वर्ष 2012 से 2020 तक जापान की सरकार चलाई. हालांकि पेट में अल्सर की समस्या की वजह से उन्हें दोनों बार प्रधानमंत्री के अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. वर्ष 2012 से 2020 के बीच जब वो जापान प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने जापान की सैन्य व्यवस्था में बड़े बदलाव करने की कोशिश की.

जापानी संविधान में किया था अहम बदलाव

इनमें पहला बदलाव था, जापान (Japan) की सेना को देश की सीमा के बाहर जाकर लड़ने का अधिकार देना. इसके लिए शिंजो आबे ने वर्ष 2015 में जापान के संविधान में बड़े बदलाव किए. इसके बाद जापान में उनका जबरदस्त विरोध भी हुआ. असल में शिंजो आबे जापान को सैन्य रूप से एक मजबूत देश बनाना चाहते थे. जबकि जापान के नागरिक हमेशा से इसके खिलाफ रहे हैं.

इसका एक बड़ा कारण है, जापान (Japan) के संविधान का आर्टिकल 9. ये आर्किटल जापान को सिर्फ आत्मरक्षा के लिए जरूरी सैनिक रखने की इजाज़त देता है. अभी जापान एक तय संख्या से ज़्यादा सैनिक नहीं रख सकता. यानी जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन उसके पास अपनी कोई विशाल सेना नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जापान के संविधान में Second World War के बाद ये शर्त शामिल की गई थी कि जापान कभी किसी अंतरराष्ट्रीय विवाद को सुलझाने के लिए किसी युद्ध में भाग नहीं लेगा और सेना का इस्तेमाल भी सिर्फ़ अपनी आत्मरक्षा के लिए करेगा. 

चीन के खतरे को पहचानते थे शिंजो आबे

चीन और नॉर्थ कोरिया के बढ़ते खतरे के कारण शिंजो आबे संविधान के इस अनुच्छेद को बदलना चाहते थे, जिसकी वजह से जापान के एक वर्ग में उनके प्रति नाराजगी थी. चीन के सरकारी अखबार Global Times का कहना है कि यही नाराजगी और असंतोष शिंजो आबे की हत्या का एक बड़ा कारण हो सकता है. Global Times ने अपने Tweet में इस बात का ज़िक्र किया है.

कहीं चीन के इशारे पर तो नहीं हुई हत्या?

शिंजो आबे (Shinzo Abe) की हत्या करने वाला व्यक्ति खुद एक पूर्व नौसैनिक है, जिसकी वजह से ये आशंकाएं और गहरी होती हैं. हालांकि इस मामले में संदेह चीन को लेकर भी है. शिंजो आबे जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने चीन के खिलाफ जापान (Japan) की संसद में कई प्रस्ताव पास किए. इसके अलावा उन्होंने चीन के खिलाफ QUAD को भी ऐक्टिव किया. इसलिए चीन भी सवालों के रडार में है. हालांकि जापान की सरकार ने अभी आधिकारिक रूप से इस हत्या के पीछे कोई कारण स्पष्ट नहीं किया है.

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