नई दिल्ली. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में आम लोगों के जीवन से संबंधित कई बातों को विस्तार से बताया है. चाणक्य नीति में बताई गई बातों का पालन करके व्यक्ति किसी भी परेशानी का आसानी से सामना कर सकता है. चाणक्य का कहना है कि जिस देश में आदर-सम्मान नहीं मिलता उस देश को तुरंत छोड़ देना चाहिए.
चाणक्य नीति के अनुसार, जिस देश में आजीविका का कोई साधन न हो, जहां कोई रिश्तेदार भी न हो और जहां किसी प्रकार के गुणों की प्राप्ति की संभावना न हो, ऐसे देश और स्थान पर रहना उचित नहीं है. आचार्य कहते हैं कि किसी अन्य देश या स्थान पर जाने का प्रयोजन वहां जाकर कोई नई बात, कोई नया रोजगार या कोई नया गुण सीखना होता है, लेकिन जहां इनमें से किसी बात की संभावना ही न हो, वहां रुकने का कोई मतलब नहीं होता है.
चाणक्य का कहना है कि जिस देश में वेद को जानने वाला ब्राह्मण, राजा, धनवान, वैद्य और नदी न हो, वहां एक दिन भी नहीं रुकना चाहिए. आचार्य कहते हैं कि धनवान लोगों से व्यापार में वृद्दि होती है. वेद को जानने वाले धर्म की रक्षा करते हैं. राजा न्याय और शासन व्यवस्ता को स्थिर रखता है. जल तथा सिंचाई के लिए नदी जरूरी है और वैद्य की आवश्यकता रोगों से छुटकारा पाने के लिए होती है. चाणक्य कहते हैं कि जहां पर ये पांच चीजें न हों, उस स्थान को त्याग देने में ही भलाई है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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