नई दिल्ली: Who Will be CM of Rajasthan: राजाओं का दौर बीत गया, लोकतंत्र में जनता के पास सत्ता की चाबी है. वे जिसे चाहें, उसी को राजपाठ सौंपते हैं. फिर चाहे कोई आम व्यक्ति ही क्यों न हो. लेकिन राजस्थान में राज परिवारों का दबदबा अब ही कायम है. यही कारण है राजनीतिक दलों को आज भी जीत के लिए इन घरानों में हाजिरी देनी पड़ी थी. इस बार राजस्थान में राज परिवारों से जुड़े 6 लोगों ने चुनाव लड़ा, इनमें से 5 ने जीत दर्ज की है. डीग-कुम्हेर से कांग्रेस के प्रत्याशी और भरतपुर राज घराने के सदस्य विश्वेंद्र सिंह चुनाव हार गए हैं. बाकी 5 प्रत्याशी भाजपा के हैं, जिन्होंने जीत दर्ज की है. राजस्थान में फिर से सुबगुबाहट तेज हो गई है कि सत्ता की बागडोर राजघरानों के पास ही आने वाली है.
कौन-कौन 'शाही' प्रत्याशी जीते
शाही परिवारों में जीतने वालों में सबसे पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का है. वे लगातार 5वीं बार झालरापाटन सीट से विजयी हुई हैं. वो ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की बेटी हैं. जयपुर राजघराने की इकलौती संतान दीया कुमारी ने भी विद्याधर नगर सीट से जीत दर्ज की है. कोटा राजघराने से जुड़ी कल्पना देवी भी लाडपुरा से विधानसभा चुनाव जीती हैं. बीकानरे राजघराने की राजुमारी सिद्धि कुमारी बीकानेर ईस्ट सीट से जीती हैं. उदयपुर राजघराने से महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ ने नाथद्वारा सीट से जीत दर्ज की है.
BJP से राजघरानों का मोह क्यों?
राजस्थान में राजपूत समाज पारंपरिक रूप से भाजपा का वोटर रहा है. इसके पीछे बड़ा कारण इनके मन में बना परसेप्शन है. खासकर राजघरानों से जुड़े लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने राज, फिर जागीरें छीनीं. हमसे कृषि भूमि, अस्त्र-शस्त्र और आभूषण छीन लिए. हालांकि, दूसरा पक्ष इसे समाजवाद के लिए उठाया गया उचित कदम बताता है. लेकिन राज परिवारों ने कांग्रेस से दूरी बना ली और भाजपा की ओर खिसक आए.
कौन हैं मुख्यमंत्री के दावेदार
वैसे तो राजस्थान भाजपा में आधा दर्जन मुख्यमंत्री के दावेदार हैं. लेकिन मुख्य तौर पर दो नाम आगे हैं और ये दोनों ही राज परिवारों से हैं. पहला नाम वसुंधरा राजे हैं, जो वर्तमान में मुख्यमंत्री पद की सबसे प्रबल दावेदार हैं. राजस्थान के हर राज परिवार से इनके ताल्लुकात हैं और ज्यादातर इनका समर्थन करते हैं. दूसरी दावेदार दीया कुमारी हैं. पार्टी ने उन्हें विद्याधर नगर जैसी सेफ सीट से लड़ाकर कई संकेत दिए हैं. मुमकिन है कि उनकी किस्मत भी चमक जाए. दिलचस्प बात ये है कि दीया को राजनीति में वसुंधरा ही लेकर आई थीं.
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