ट्रंप-पुतिन 'जय-वीरू' की जोड़ी! अमेरिका ने 7 दशक पुरानी रूस विरोधी नीति क्यों बदली?

Russia America Relations: रूस और अमेरिका के 7 दशक से ख्रराब रिश्ते अब सुधरते हुए नजर आ रहे हैं. ट्रंप ने सत्ता में वापसी करने के बाद कई ऐसे संकेत दिए हैं, जो बताते हैं कि अब दोनों देश आगे की सोच रहे हैं. दूसरों के झगड़े में खुद का नुकसान नहीं करने वाले हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 20, 2025, 12:00 PM IST
  • डोनाल्ड ट्रंप ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ
  • पुतिन भी रिश्ते अच्छे करना चाह रहे
ट्रंप-पुतिन 'जय-वीरू' की जोड़ी! अमेरिका ने 7 दशक पुरानी रूस विरोधी नीति क्यों बदली?

7 दशक से चली आ रही दोनों की दुश्मनी
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका और रूस (तब सोवियत संघ) के बीच तनाव लगातार गहराता चला गया था. शीत युद्ध के दौरान भी दोनों देश अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा करते रहे. 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ, तब अमेरिका ने रूस को संभावित खतरे के तौर पर देखा. जब नाटो का विस्तार हुआ तो रूस ने अमेरिका पर आंखें लाल की. यूक्रेन के साथ युद्ध भी इसलिए हुआ, क्योंकि यह यूरोपीय देश NATO में शामिल होना चाहता था. पुतिन को लगा कि यूक्रेन नाटो में चला जाएगा तो अमेरिकी सेना उनके बगल में आकर खड़ी जो जाएगी, जो आगे चलकर बड़ा खतरा बन सकती है.

फिर क्यों अमेरिका ने बदला रुख?
अमेरिका फर्स्ट नीति: ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिका फर्स्ट नीति पर काम करना शुरू कर दिया है. दूसरे देशों के खातिर रूस से दुश्मनी मोल लेना ट्रंप को सही कदम नजर नहीं आया. उन्हें लगता है कि इससे आर्थिक और रणनीतिक नुकसान हो रहा है. इसलिए केवल अमेरिका का फायदा सोचना ही बेहतर रहेगा.
युद्ध रोकने को आतुर: ट्रंप पुतिन से इसलिए भी करीबियां बढ़ा रहे हैं, ताकि जल्द से जल्द तूस-यूक्रेन का युद्ध रुक सके. इस युद्ध ने अमेरिका सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बाजार को प्रभावित किया. ट्रंप ने इसे खत्म करने का वादा भी कर चुके हैं.
चीन का बढ़ता प्रभाव: अमेरिका के लिए अब चीन रूसे से भी बड़ा खतरा है. मुमकिन है कि ट्रंप रूस को अपने पक्ष में कर चीन के खिलाफ एक संतुलन बनाना चाहते हैं, ताकि चीन के प्रभाव को सीमित किया जा सके.
यूरोप से दूरी में फायदा: ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता भी रोक दी है. वे अपने NATO देशों और यूरोपीय सहयोगियों से किनारा कर रहे हैं, ताकि वहां पर सहायता राशि न देनी पड़े और अमेरिका ये राशि कहीं और खर्च कर सके. यूरोपीय देशों से किनारा करने के बाद अमेरिका के पास रूस से दुश्मनी रखने की वाजिब वजह भी नहीं बचती.

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