भोपालः मध्यप्रदेश की पहचान वन्य प्राणी संरक्षण के मामले में है मगर यह भी सही है कि यहां वन्य प्राणियों की मौत भी कम नहीं हो रही है. यह खुलासा हुआ है विधानसभा में दिए गए ब्यौरे से. वर्ष 2014 से 2018 के बीच पांच वर्षों में 120 बाघ और 209 तेंदुओं की मौत हुई है. विधानसभा में तेंदुआ और बाघों की मौतों का यह विवरण सामने आया है.
विधानसभा में सामने आई जानकारी
कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी ने बाघों और तेंदुए की मौत को लेकर सवाल पूछा था जिस पर वन मंत्री विजय शाह ने स्वीकार किया है कि राज्य में वर्ष 2014 से 2018 की अवधि के बीच 120 बाघ और 209 तेंदुओं की मौत हुई है.वन मंत्री ने सुरक्षा को लेकर कहा है कि बाघ और तेंदुओं के अतिरिक्त अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए टाइगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य प्राणी अभ्यारण की स्थापना की गई है.
इन कारणों से हुई जानवरों की मौत
इनकी सुरक्षा के लिए वन क्षेत्र में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा पैदल, हाथी और वाहनों से गश्ती की जाती है, वहीं संदिग्ध व्यक्तियों की निगरानी होती है. इसके अलावा विद्युत लाइनों का समय-समय पर संयुक्त निरीक्षण, गोपनीय सूचना तंत्र का उपयोग कर बाजार हाट में चेकिंग, जल स्रोतों की निगरानी आदि कार्य किए जाते हैं.
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विगत वर्षों में बाघ और तेंदुए की मृत्यु शिकार, आपसी संघर्ष, करंट लगने अथवा बीमारियों के चलते हुई है.वन मंत्री ने अपने उत्तर में माना है कि वन्य प्राणियों के कुछ मामलों में अपराधी तत्व जिम्मेदार पाए गए हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. (इनपुट-एजेंसी)
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