गुवाहाटीः असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य पुलिस ने भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा के कई मॉड्यूल और बांग्लादेश स्थित अंसारुल्लाह बांग्ला टीम का भंडाफोड़ किया है, जो राज्य के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए सक्रिय थे. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हाल के दिनों में कुछ मस्जिदों और मदरसों से चरमपंथी संगठनों के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है.
800 मदरसे बंद कर चुकी है सरकार
उन्होंने कहा, 'लोगों और कानूनी एजेंसियों को इमामों और मदरसा शिक्षकों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी, खासकर जो अजनबी हैं.' असम सरकार पिछले साल सरकार द्वारा संचालित 800 मदरसों को पहले ही बंद कर चुकी है. असम में सभी सरकारी मदरसों को समाप्त कर दिया गया और पिछले साल 1 अप्रैल से 620 से अधिक ऐसे संस्थानों को सामान्य स्कूलों में बदल दिया गया.
'अपरिचित शिक्षकों और इमामों के खिलाफ है आपत्ति'
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 1500 निजी मदरसों में से 800 कौमी मदरसों पर सभी हितधारकों के साथ विभिन्न स्तरों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'मदरसों की संख्या अपने आप जिहादियों की संख्या का संकेत नहीं देती है. हमारी आपत्ति केवल अपरिचित शिक्षकों और इमामों के खिलाफ है. वे कुछ मदरसों को अपने आश्रय के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और हमें उन मदरसों को ढूंढना होगा.'
पीएफआई एक सिस्टम बना रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और असम के कुछ जिलों में पुलिस द्वारा भंडाफोड़ किए गए पांच मॉड्यूल के बीच कोई संबंध नहीं मिला. सरमा ने कहा- 'हालांकि, पीएफआई एक सिस्टम बना रहा है. पीएफआई असम के खिलाफ भावना पैदा कर रहा है कि असम में मुसलमानों का उत्पीड़न किया गया है. असम पुलिस ने पिछले पांच महीनों में जिन पांच मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, वे लोगों को कट्टरपंथी बनाने में शामिल थे.'
त्रिपुरा में भी गिरफ्तारी
त्रिपुरा पुलिस ने जिहादियों के तीन कैडरों को भी गिरफ्तार किया है और उनके संबंध असम में गिरफ्तार किए गए लोगों से हैं. उनके पास से जिहादी साहित्य सहित आपत्तिजनक दस्तावेज, किताबें बरामद की गईं. यह दावा करते हुए कि असम काफी समय से अल-कायदा के रडार पर है, उन्होंने कहा कि पुलिस को असम के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में छह बांग्लादेशी नागरिकों की संलिप्तता का पता चला है. उनमें से एक, मोहम्मद सुमन को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि अन्य छिप गए थे और वे 2016-17 में असम में प्रवेश कर गए थे. सुमन, जो पश्चिम बंगाल से असम आया और फिर बरपेटा में एक स्थानीय लड़की से शादी कर वहीं बस गया.
सरमा ने कहा कि वह एक मस्जिद के इमाम के रूप में काम करता पाया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को अभी ठीक से पता नहीं है कि कितने बांग्लादेशी नागरिक इस तरह की असामाजिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए असम में दाखिल हुए और कितने असम से बांग्लादेश गए.
सरमा ने कहा, वे कुछ ऐसे ऐप्स का उपयोग करते हैं, जो हमारे लिए अज्ञात हैं. इनसे हमारे लिए उन्हें ट्रैक करना बहुत मुश्किल हो गया है. उन्हें 20,000 रुपये से 30,000 रुपये की छोटी राशि में ऑनलाइन भेजा गया था, ताकि किसी को उन पर संदेह ना हो.
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