Adani Hindenburg Case: 'पहली नजर में कोई फर्जीवाड़ा नहीं', SC कमिटी की रिपोर्ट में सामने आई बड़ी बात

अडानी हिंडनबर्ग मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पहले ही सुप्रीम कोर्ट सेबी को मामले की जांच के लिए 3 महीने का समय दे चुका है. शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने कहा कि इस मामले में सेबी (SEBI) को ज्यादा अधिकार देने की जरूरत नहीं है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 19, 2023, 03:00 PM IST
  • SC में अडानी-हिंडनबर्ग मामले में हुई सुनवाई
  • SEBI को अधिक अधिकार देने की आवश्यकता नहीं
Adani Hindenburg Case: 'पहली नजर में कोई फर्जीवाड़ा नहीं', SC कमिटी की रिपोर्ट में सामने आई बड़ी बात

नई दिल्ली: अडानी-हिंडनबर्ग विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस बात की पुष्टि हुई है कि एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) अडानी समूह द्वारा वित्त पोषित नहीं हैं. सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने यह साबित नहीं किया है कि उसके संदेह को एक ठोस मामले में तब्दील किया जा सकता है. अदालत पहले ही मामले की जांच के लिए SEBI को 3 महीने का समय दे चुकी है.

'सेबी को अब और अधिक अधिकार देने की आवश्यकता नहीं'
सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने ये कहा है कि सेबी को इस मामले में अब और अधिक अधिकार देने की आवश्यकता नहीं है. नियुक्त समिति की अध्यक्षता और अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता शर्त को नियंत्रित करने वाले नियामक शर्तों के अनुपालन के संबंध में कोई नियामक विफलता नहीं थी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट... इसमें कोई नया डेटा नहीं था, लेकिन यह सार्वजनिक डोमेन में डेटा से अनुमानों का एक संग्रह था.

सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने ये भी कहा कि सेबी को एनफोर्समेंट पॉलिसी को और बेहतर बनाने की जरूरत है. एक्सपर्ट कमिटी ने ये भी कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले ग्रुप कंपनी में संदिग्ध ट्रेडिंग के मामले देखने को मिले थे. 

अडानी ने खुदरा निवेशकों को राहत देने के लिए उठाए कदम
कमिटी ने आगे बताया कि अडानी ने खुदरा निवेशकों को राहत देने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं. अनुभवजन्य डेटा से पता चलता है कि अडानी के शेयरों में खुदरा निवेश 24 जनवरी के बाद कई गुना बढ़ गया है, समूह द्वारा उपायों को कम करने से स्टॉक में विश्वास पैदा करने में मदद मिली और स्टॉक अब स्थिर हैं.

MPS (न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता) अनुपालन पर कोई उल्लंघन नहीं पाया गया. समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नियामक यह साबित करने में सक्षम नहीं है कि उसके संदेह को उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चलाने के एक ठोस मामले में परिवर्तित किया जा सकता है. विशेषज्ञ समिति के ये निष्कर्ष सामने आए कि अडानी समूह द्वारा कीमतों में कोई हेरफेर नहीं पाया गया. एक ही पक्ष के बीच कई बार कृत्रिम व्यापार या वॉश ट्रेड का कोई पैटर्न नहीं पाया गया. अपमानजनक व्यापार का कोई सुसंगत स्वरूप प्रकाश में नहीं आया.

सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले सेबी ने सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें रखीं. सेबी ने कहा कि जिन 12 सौदों की जांच हो रही है वो काफी जटिल है, क्योंकि बहुत से सौदों में सब ट्रांजैक्शन हैं. ढेरों देसी विदेशी बैंकों और ऑन शोर ऑफ शोर संस्थाओं के वित्तीय सौदों की जांच होनी है.

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