नई दिल्लीः भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुए रक्षा समझौते से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है, जिससे संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा.
विकास में भी सेना का अहम योगदानः आर्मी चीफ
नोएडा में आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम में बोलते हुए सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की राष्ट्र-निर्माण में भूमिका को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना केवल सुरक्षा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के विकास में भी अहम योगदान देती है.
#WATCH | Noida, UP: On defence deals signed between India and US during PM Narendra Modi's US visit, Indian Army Chief Gen Upendra Dwivedi says, "... We have received very good news that a 10 year plan will be laid out. The joint production will greatly benefit the defence… pic.twitter.com/lOD1CHL6G3
— ANI (@ANI) February 15, 2025
दोनों देशों की बीच रक्षा सहयोग होगा मजबूत
भारत और अमेरिका इस साल 2025 से 2035 तक के लिए एक नए 10-वर्षीय रक्षा समझौते पर बातचीत शुरू करेंगे. यह समझौता रक्षा उपकरणों और सेवाओं के आदान-प्रदान को आसान बनाएगा. इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत होगा और खरीद प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी बनेंगी.
इससे पहले पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने द्विपक्षीय वार्ता में अपने मजबूत रक्षा संबंधों को दोहराया था. दोनों नेताओं ने इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशन (ITAR) सहित रक्षा व्यापार नियमों की समीक्षा करने पर सहमति जताई, ताकि आर्म्स ट्रांसफर को सुगम बनाया जा सके.
इस रक्षा समझौते से तकनीकी साझेदारी बढ़ेगी. साथ ही अमेरिका से प्राप्त रक्षा प्रणालियों के रखरखाव और मरम्मत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारत पहले ही 'स्ट्रैटेजिक ट्रेड अथॉराइजेशन (STA-1)' का दर्जा प्राप्त कर चुका है और क्वाड का सदस्य है. इससे अमेरिका के साथ उसका रक्षा सहयोग और मजबूत हुआ है.
अमेरिका ने भारत के साथ नए रक्षा उपकरणों की खरीद और सह-उत्पादन को बढ़ाने की योजना बनाई है. इसमें 'जैवलिन' एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और 'स्ट्राइकर' इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल का सह-निर्माण शामिल है.
इसके अलावा भारत जल्द ही छह और P-8I समुद्री निगरानी विमान खरीदेगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा.
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