नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में जन्मे गोपालदास 'नीरज' ने देश को कई ऐसे गीत दिए, जो आज भी हम गुनगुनाते रहते हैं. उनके शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में योगदान को लेकर भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से नवाजा.
उन्हें फिल्मों में बेहतरीन गीत लिखने के लिए तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया. 4 जनवरी, 1925 को जन्मे गोपालदास 'नीरज' का आज जन्मदिन है. आज इस मौके पर पढ़िए उनके 5 चुनिंदा गीत:
ए भाई, जरा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे...
फिल्म-मेरा नाम जोकर, 1972
ए भाई, जरा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे भी
दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी
तू जहां आया है वो तेरा - घर नहीं, गांव नहीं
गली नहीं, कूचा नहीं, रस्ता नहीं, बस्ती नहीं
दुनिया है, और प्यारे, दुनिया यह एक सरकस है
और इस सरकस में - बड़े को भी, चोटे को भी
खरे को भी, खोटे को भी, मोटे को भी, पतले को भी
नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को
बराबर आना-जाना पड़ता है
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं...
फिल्म-पहचान, 1971
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं
एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में
मुस्कुरा कर भेंट हर स्वीकार करता हूं
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं ...
मैं बसाना चाहता हूं स्वर्ग धरती पर
आदमी जिस में रहे बस आदमी बनकर
उस नगर की हर गली तैय्यार करता हूं
फूलों के रंग से, दिल की कलम से...
फिल्म-प्रेम पुजारी, 1970
फूलों के रंग से, दिल की कलम से
तुझको लिखी रोज पाती
कैसे बताऊं, किस किस तरह से
पल पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने, लेकर के सोया
तेरी ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूं
जैसे के माला में धागा
हां, बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
हाँ, इतना मदिर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
काल का पहिया घूमे भैया...
फिल्म- अज्ञात, 1970
काल का पहिया घूमे भैया
लाख तरह इन्सान चले
ले के चले बारात कभी तो
कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरि...
जनक की बेटी अवध की रानी
सीता भटके बन बन में
राह अकेली रात अंधेरी
मगर रतन हैं दामन में
साथ न जिस के चलता कोई
उस के साथ भगवान चले
राम कृष्ण हरि...
ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली...
फिल्म- शर्मीली, 1971
ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली
आओ ना तरसाओ ना
ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली
तेरा काजल लेकर रात बनी, रात बनी
तेरी मेंहदी लेकर दिन उगा, दिन उगा
तेरी बोली सुनकर सुर जागे, सुर जागे
तेरी खुशबू लेकर फूल खिला, फूल खिला
जान-ए-मन तू है कहां
ओ मेरी...
तेरी राहों से गुज़रे जब से हम, जब से हम
मुझे मेरी डगर तक याद नहीं, याद नहीं
तुझे देखा जब से दिलरुबा, दिलरुबा
मुझे मेरा घर तक याद नहीं, याद नहीं
जान-ए-मन तू है कहां
ओ मेरी...
यह भी पढ़िएः बहन से था अफेयर, भाइयों ने गला घोंटकर खेत में दफना दिया प्रेमी का शव
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.