Tokyo Olympics में हिंदुस्तान के 'नवरत्न' जड़ेंगे जीत का मुक्का

23 जुलाई को टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) का आगाज हो रहा है. दुनिया के इस सबसे बड़े खेल आयोजन में भारत की आशाएं मुक्केबाजी के मुकाबले से काफी ज्यादा हैं. तो क्या इस ओलंपिक में भारत अपनी ताकत दिखा पाएगा?

Written by - Pratyush Khare | Last Updated : Jul 22, 2021, 11:12 PM IST
  • हिंदुस्तानी मुक्के में है कितना दम?
  • ओलंपिक में लगेगा जीत का पंच
Tokyo Olympics में हिंदुस्तान के 'नवरत्न' जड़ेंगे जीत का मुक्का

नई दिल्ली: एक फिल्मी डायलॉग था कि जब ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है, तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है. ये तो फिल्मी डायलॉग था लेकिन हकीकत में हमारे भारतीय मुक्केबाजों के पंच में भी इतना दम है कि विरोधी चारो खाने चित हो जाता है. इस बार ओलंपिक में बॉक्सिंग से पूरे देश को उम्मीद है कि हमारे मुक्केबाज अपने मुक्के के ज़ोर से देश की झोली मेडलों से भर देंगे.

24 जुलाई से बॉक्सिंग के मुकाबले

टोक्यो ओलंपिक गेम्स में टीम इवेंट के मुकाबले 21 जुलाई से शुरू हो चुके हैं. आधिकारिक उद्घाटन 23 जुलाई को होना है. दुनिया के 205 देश के 11 हजार से अधिक एथलीट 339 गोल्ड मेडल के लिए उतर रहे हैं. भारत के 9 मुक्केबाजों ने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया है. मुकाबले 24 जुलाई से शुरू होने हैं.

इस बार बॉक्सिंग में 13 गोल्ड पर निशाना

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों का 13 गोल्ड का टारेगट है क्योंकि इस बार पुरुष कैटेगरी में 8 और महिला कैटेगरी में 5 गोल्ड मेडल दांव पर लगे हैं. 2016 रियो ओलिंपिक में भी बॉक्सिंग में 13 गोल्ड मेडल दांव पर थे. 10 पुरुष कैटेगरी में और 3 महिला कैटेगरी में,

हिंदुस्तान के 'नवरत्न' लगाएंगे जीत का पंच

इस बार ओलंपिक में कुल 9 भारतीय मुक्केबाज बॉक्सिंग रिंग में मुक्के का दम दिखाने उतर रहे हैं, भारत की तरफ से मैरी कॉम (51 किलोग्राम भारवर्ग) लवलिना बोरगेहन (69 किलोग्राम भारवर्ग), पूजा रानी (75 किलोग्राम भारवर्ग), सिमरनजीत कौर (60 किलोग्राम भारवर्ग) महिला वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी.

वहीं पुरुष वर्ग में विकास कृष्ण (69 किलोग्राम भारवर्ग), आशीष कुमार (75 किलोग्राम भारवर्ग), सतीश कुमार (91 किलोग्राम भारवर्ग), अमित पंघल (52 किलोग्राम भारवर्ग), मनीष कौशिक (63 किलोग्राम भारवर्ग) में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. मैरी कॉम और पंघल को भारत की तरफ से पदक के बड़े दावेदारों के तौर पर देखा जा रहा है.

6 बार की वर्ल्ड चैंपियन मैरीकॉम गोल्ड पर मारेंगी मुक्का

इस बार ओलंपिक में मैरी कॉम से देश को सबसे ज्यादा उम्मीद है, बॉक्सिंग मुकाबले में वो भारत की तरफ से सबसे फेवरेट मुक्केबाजों में से एक हैं. 38 साल की मैरी कॉम का ये आखिरी ओलंपिक है. लंदन 2012 की कांस्य पदक विजेता रियो 2016 के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं थीं. इस साल स्पेन में हुए बॉक्सम टूर्नामेंट में एक साल बाद मैरी कॉम रिंग में लौटी थी, जहां उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया.

इसके बाद उन्होंने मई में दुबई में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीता. मैरी कॉम 2012 में जीते गए कांस्य पदक को इस बार गोल्ड में तब्दील करना चाहेंगी. 6 बार की विश्व चैंपियन का सामना तुर्की की बुसेनाज काकिरोग्लू और पिछली विश्व चैंपियन रूस की लिलिया एतबाएवा से होगा. महिला बॉक्सिंग में भारत का जलवा कम नहीं है 9 गोल्ड, आठ सिल्वर और 19 ब्रॉन्ज मेडल के साथ भारत रूस और चीन के बाद महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में तीसरा सबसे सफल देश है.

अमित पंघल बन सकते हैं रिंग के हीरो

फ्लाईवेट (52 किग्रा) में दुनिया के नंबर 1 मुक्केबाज अमित पंघल पुरुष वर्ग में देश की सबसे बड़ी उम्मीद हैं. बॉक्सिंग रिंग में उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी होंगे. उज्बेकिस्तान के दुनिया के दूसरे नंबर के मुक्केबाज शाखोबिदीन जोइरोव , आखिरी बार दुबई में एशियाई मीट में दोनों के बीच का मुकाबला बेहद रोमांचक रहा था, जहां शाखोबिदीन ने 3:2 से मुकाबला अपने नाम किया था.

लेकिन अमित पंघल का पिछले दिनों विश्व में नंबर वन मुक्केबाज बनना ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन के लिए उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाता है. इसके साथ ही अमित एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने के साथ विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुके हैं. अमित पंघल मौजूदा विश्व रैंकिंग के टॉप 5 मुक्केबाजों में से फ्रांस बिलाल बेनामा और चीन के हू जियान गुआन को एक-एक बार हरा चुके हैं.

पूजा रानी को अपने मुक्के पर है पूरा भरोसा

दो बार की एशियन चैंपियन पूजा रानी का यह पहला ओलंपिक है और वो अपने पहले टूर्नामेंट को यादगार बना देना चाहती हैं. हौसलों से लबरेज पूजा को अपने मुक्के पर पूरा यकीन है पूजा का कहना है कि वो खुद को पोडियम पर चढ़ते देख रही हैं. पूजा मजबूत इरादों वाली मुक्केबाज हैं, यह उनके घरवालों की मर्जी के बगैर मुक्केबाज बनने से ही पता चलता है.

एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने से उनका विश्वास और बढ़ा है. मिडिलवेट, 75 किग्रा भारवर्ग में पूजा रानी से देश को बड़ी उम्मीदें हैं, पूजा ने इस साल मई में दुबई में अपना आखिरी खिताब जीता था, जबकि मार्च में बॉक्सम में रजत पदक देश के नाम किया था.

एमसी मैरीकॉम, अमित पंघल और पूजा रानी के अलावा विकास कृष्ण, मनीष कौशिक, आशीष कुमार, सतीश कुमार, सिमरनजीत कौर और लवलीना भी मेडल के मजबूत दावेदार हैं. ये सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर चुके हैं.

विकास कृष्ण कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीत चुके हैं. 2016 के रियो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच चुके थे. इसलिए इस बार वो पिछली बार की कमी की भरपाई करने का पुरजोर कोशिश करेंगे.

वहीं मनीष और सिमरनजीत विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता हैं. सारे भारतीय मुक्केबाज ओलंपिक में अपने घूसों की बरसात करने को तैयार हैं मकसद बस एक है ज्यादा से ज्यादा मेडल हिंदुस्तान की झोली में डालना.

इस बार इटली में हुई है मुक्केबाजों की ट्रेनिंग

भारतीय मुक्केबाजों ने इस बार अपने पंच को ओलिंपिक के लिए और दमदार बनाने की ट्रेनिंग इटली से ली है. कोरोना महामारी की वजह से तमाम चैंपियनशिप रद्द हो गई थीं. जिससे बाकी खेलों की तरह मुक्केबाजों की तैयारियों पर भी असर पड़ा. इसलिए भारतीय मुक्केबाजों को यूरोपीय मुक्केबाजों के साथ ट्रेनिंग करने के लिए 15 जून को इटली भेज दिया गया था.

बॉक्सिंग में अब तक ओलम्पिक में 2 मेडल

भारतीय मुक्केबाजों ने अब तक 14 बार ओलिंपिक गेम्स में हिस्सा लिया है. पहली बार 1948 में भारत के 7 मुक्केबाज ओलिंपिक में शामिल हुए थे. 2012 में हिंदुस्तान से सबसे ज्यादा 8 मुक्केबाज ओलिंपिक में उतरे थे, लेकिन ओलंपिक बॉक्सिंग में हिंदुस्तान ने अब तक सिर्फ 2 मेडल ही जीता हैं. एक महिला और एक पुरुष वर्ग में..

13 साल पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक में विजेंदर सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. यह भारत के लिए मुक्केबाजी में पहला मेडल था. वहीं एमसी मैरीकॉम ने भी 9 साल पहले 2012 लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा कर देश का सीना गर्व से चौड़ा किया था. लेकिन 2016 में भारतीय मुक्केबाज कोई पदक नहीं जीत सके. एक मलाल ये भी है कि अब तक भारतीय खिलाड़ी इस खेल में सिल्वर और गोल्ड दोनों नहीं जीत पाए हैं, लेकिन इस बार उम्मीद है कि गोल्ड का सपना भी साकार हो जाए.

मुक्केबाज खेल गांव में बहा रहे हैं पसीना

बॉक्सिंग फाइट टोक्यो के सुमिडा वार्ड के रयोगोकू कोकुगिकान एरीना में हो रही है जो सुमो कुश्ती स्थल है. लेकिन ये खेलगांव में काफी दूर है गर्मी भी है. आने जाने में थकान से बचने और समय के पूरे सदुपयोग के लिए खिलाड़ी खेलगांव में ही प्रैक्टिस कर रहे हैं.

खेल गांव में अभ्यास की सुविधाएं अच्छी हैं, इसलिए खिलाड़यों को यहां कोई परेशानी भी नहीं है. टीम के हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर सैंटियागो नीवा कहते हैं कि भारतीय मुक्केबाजों ने अपने खेल में गजब का सुधार किया है वह ओलिंपिक में किसी भी स्तर के मुक्केबाज को हराने का दम रखते हैं.

पूरे देश को बेसब्री से इंतजार है जब हमारे ये मुक्केबाज अपने मुक्के से दुनिया भर में तहलका मचाएंगे और बॉक्सिंग में हिंदुस्तान की बादशाहत का परचम लहराएंगे.

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