नई दिल्लीः बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव हो सकता है. वहीं, 12वीं की परीक्षा दो हिस्सों में भी हो सकती है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से गठित विशेषज्ञों का पैनल साल में दो बार बोर्ड परीक्षा और 12वीं के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली का पक्षधर है. इसे लेकर मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर सुझाव आमंत्रित किए हैं.
नई शिक्षा नीति के आधार पर हो रहे बदलाव
बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में भी बदलाव संभव हैं. छात्रों से ऐसे प्रश्न भी पूछे जाएंगे जो वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों पर आधारित होंगे. सीबीएसई 2023 से 24 के शैक्षणिक सत्र से कक्षा 9, 10, 11 और 12 के लिए 20 प्रतिशत एमसीक्यू आधारित प्रश्न भी प्रश्न पत्रों में जोड़ेगा. ये बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर किए जा रहे हैं.
शिक्षा मंत्रालय ने अब विभिन्न हितधारकों से स्कूली शिक्षा, पाठ्यक्रम क्षेत्र, स्कूल प्रशासन, मूल्यांकन, आदि के चरण को निर्दिष्ट करते हुए प्रतिक्रिया मांगी है.
पूरी शिक्षा प्रणाली में बदलाव की है तैयारी
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भारत में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा सहित पूरी शिक्षा प्रणाली को बदलना है. स्कूली शिक्षा एक बच्चे के जीवन की आधारशिला के रूप में काम करती है. एनईपी 2020 में पाठ्यक्रम में संस्कृति की अच्छी नींव, निष्पक्षता और समावेशन, बहुभाषावाद, अनुभवात्मक शिक्षा, विषय वस्तु के बोझ को कम करने, कला और खेल के एकीकरण आदि पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.
चार पाठ्यक्रमों की रूपरेखा बनाई गई है
एनईपी 2020 में आगे कार्य करते हुए, चार राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों की रूपरेखाओं को स्थापित किया गया है, यानी स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ, बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए एनसीएफ, अध्यापक की शिक्षा के लिए एनसीएफ और प्रौढ़ शिक्षा के लिए एनसीएफ की पहल की गई है. डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्रालय ने एनसीएफ को शुरू करने और मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया.
विचार-विमर्श की एक सहभागी प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों, अभिभावकों, छात्रों, शैक्षणिक संस्थानों, नव- और गैर-साक्षर, विषय विशेषज्ञ, विद्वान, शिशु पालन कर्मियों आदि सहित विभिन्न हितधारकों से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (ईसीसीई, स्कूल शिक्षा, अध्यापक शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में) के लिए जानकारी मांगी गई है.
यह अभी एनसीएफ-एसई का पूर्व मसौदा है
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि अपनी प्रतिक्रिया देते समय, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह एनसीएफ-एसई का पूर्व मसौदा है, जिस पर अभी भी राष्ट्रीय संचालन समिति के भीतर कई दौर की चर्चा की आवश्यकता है. विभिन्न हितधारकों से फीडबैक एनएससी की इस रूपरेखा की ओर से प्रस्तावित विभिन्न तौर-तरीकों और दृष्टिकोणों को गंभीरता से देखने में मदद करेगा.
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